उपवास - चिकित्सा | Upwash Chikitsa

Upwash Chikitsa by बाबू रामचन्द्र वर्मा - Babu Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपबास-चिकित्सा . हमारे शरीरका सगठन पररच्यिक क मनुप्य पशु और यहीं तक कि जीवमानका शरीर इस प्रकार पना हुआ है कि यदि उसमें किसी प्रकारके धघाइरी या ऊपरी पदा्थेके कारण दोप उत्पल दोने ठगे तो घदद दारीर--यदि उसके साथ किसी तरदका चल प्रयोग न किया जाय सर उसे स्वाभाविक स्थितिमें रदने दिया जाय तो -उस दोपको आप दी आप दूर कर छेगा । धारीर यथासाध्य किसी सनावद्यक और द्ानिकारक घस्तुको अपने सदर नदी रदने देगा । उसका सगठन ही ऐसा हे कि चहदद सदा उसे चादर निकालनेका प्रयत्न करता सदेगा। पक तो स्वय इमारे शरीरमें ही इरदम वहुतसे अनिष्टफारी पदार्थ शोर तरद तरहके विप उत्पन्न होते रहते दें दूसरे दम लोगॉकी मूखेता और फुपथ्य आदिके कारण उनकी स्या शोर भी यढ़ जाती दे । यदि शरीर अनिष्कारी पदार्थोको बादर निकालोफा काम थोड़ी देरके लिए भी धद कर दे तो जीवन असम दो जाय । साँस पसीने मऊ मूत्र धूक्त जोर छींक




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