स्वाधीनता की चुनोती | Swadhinta Ki Chunaoti

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Swadhinta Ki Chunaoti by शान्तिप्रसाद वर्मा - Shantiprasad Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ विषय प्रवेश घर्नीभूंत निराशा पर एक प्ररु आघात इस अजीवो गररीव वातावरण मे अचानक हमारे सामने आई ३ जून १६४७ की वह माउन्टवेटन योजना, जिसका उदेश्य १५ अगस्त तक देश को हिन्द बहुसंख्यक ओर मुस्लिम वहुसंच्यक दो भागों में वांट देना और इन दोनों भागों को अलग-अलग अंग्रेज़ी साम्राज्य के आधिपत्य से मुक्त होने की घोषणा कर देना था । एक यढ़े आइचय मँ डाल देने वाली यह्‌ योजना थी । समभौते की वातचीत के द्वारा भी किसौ देश को माजादी मिल सकती हं, इस वात का यह पहिला उदाहरण था । संसार के इतिहास मे इस प्रकार को कोई दूसरा उदाहरण नहीं है जब किसी साम्राज्यवादी देश ने एक आधघीन देश पर से अपनी मर्जी से अपनी सत्ता समेट ली हो । अंग्रेजी ्यासन .का इस प्रकार से अंत हो जाना जहाँ एक ओर भारतीय राजनैतिक नेताओं की व्यवहार-कुदश लता ओर वुद्धिमानी का परिचायक था, वहां हम अंग्रेज शासकोंकी दरुरदश्शिताकी प्रशंसा किए विना भी नहीं रह सकते । ब्रिटेन की मौजूदा सरकार ने हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन की दाक्ति को ठीक तरह से पहिचाना । उसने देखा कि आजकल की परिस्थितियों में साम्राज्यवाद एक खोखली भौर निस्सार वस्तु रह गई हं गौर उसने यहं भी समभ लिया कि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के तेज़ी से वदलते हुए घटना-चक्र मँ यह्‌ एक खतरनाक वस्तु भी हो सकती हँ । वस्तु- स्थिति को ठीक से पहिचान कर उसने जून १६४८ तक हिन्दुस्तान को आजाद कर देने की एके साहसपूर्णं घोषणा कर दी ओर एक व्यवहार-कुशल वायसराय ने समय से दस महिने पहिले उस घोषणा को कायं-ूप मँ परिणत कर दिय।। १४ अगस्त की रात को जव नई दिल्‍ली के कांस्टीट्यूशन हॉल मैं आयोजित सत्ता परिवत्तंन के महान्‌ उत्सव की प्रतिध्वनि देद के कोने-कोने में पहुँची, राजेन्द्रवाव्‌ + जवाहरलाल नेहरू भौर माउन्टवेटन के गम्भीर भाषण उन्हीं के चाव्दों में लाखों व्यक्तियों ने सुने,. तव अपने सारे अविष्वास को बल पूर्वक दुर ठेलते हुए, कच्च कठिनाई से और अचंभें और हैरत की भावना में, हम यह विवास कर पाए कि अब हम सचमुच आजाद हैं, और अचानक संसार के महू राष्ट्रों की प्रथम श्रेणी में आ बैठे हैं | परन्तु चाहे कितना अविश्वास और कितने ही भाइचर्य और हैरत की भावना हमारे मन में रही हो, इस वड़ी सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता था कि तीस करोड़ व्यक्तियों का यह देश गाज सचमुच अंग्रेजी साम्राज्यवाद की दासता के जए को अपने कंधों से उतोर कर एक बड़ी और आजाद ताक़त के रूप में संसार के सामने आ गया है । हिन्दुस्थान को मिलने वाली यह




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