तत्त्व बोधक कल्याण शतक | Tattvvabodhak Kalyan Shatak
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
99
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१३)
शत ज्ञान, अधी न्नानः मन परयैव न्नान, केवल-
ज्ञान 1 तीन अन्नान् । मति अन्नन, श्रुत अक्नानः
विग अन्नान ! अने चार दर्ध॑न। चषद्शन,
अचपुदशन, अवधी दशैन; केवल दशन 1ए बारं
उपयोगढे। नारकी, दसभुवन पती व्यंतर, योतिपी
चेमानिक, तियंच प्चेद्री, ए पन्नर देडके। नव
उपयोग । तीनज्ञान, तीन अज्ञान, तीनदररीन ए
नव उपयोग होय। पांच थावर ने तीन उपयोग ।
मति अज्ञान, श्रुतत अज्ञान, अचु दर्शन ए तीन
रोय । देइंद्री, तेइद्री ने तीन तथा, पांच उपयोग
होय । वेज्ञान, वे अज्ञान, एक अचझ्लु दर्शन
चोरिग्रियने छे उपयोग । वे ज्ञान, वे अज्ञान, षे
दर्शन मनुष्य ने चार उपयोग पामे ॥
॥ सोटम सत्तरमं उपनण चमघानी सैरया झार ॥
सारकी, दस अुवनपती, व्यतर, योनिषी, वेमा
निफ, तीयय पचरी, घण्य विकृटटरी ए अचय
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