जैनागम सुक्ती सुधा | Jaina Gam Sukti Sudha

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Jaina Gam Sukti Sudha  by कल्याण श्री जी - Kalyan Shri Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुस्तक-भाग पक्ति सख्या ८ १२ ५ (४; १३ १९ २० ५ १० १९ १६ २३ २३ ९ १ + अशुद्ध सट्ठे चघू णदो मृणा कृति सासार लसएज्जा विद स्थिति सिद्ध षिदित्तण रस्जमण वरज्जद्‌ अणुत्तर लभज्जा एभूहि अणयाण सं आलाव पोलना ज्‌ 0 काया इत्थाण शुद्ध सेट्ठे मुः णदो मुणी माकृति ससार लूसएज्जा विरद स्थित सिद्धे विद्ित्ताण रज्जमाण विरज्जष् अणुत्तरे लभेज्जा भूरि अणियाण मुस आरावे वोलना द० . मन, वचन, काया इत्थीणं




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