अर्थविज्ञान और व्याकरणदर्शन | Arthavigyan Aur Vyakaranadarshan
श्रेणी : साहित्य / Literature

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
450
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कपिलदेव द्विवेदी - Kapildev Dwivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( श्रे >)
शब्दन्् का झाभय चाइदा दे । कुमारिल मड के शब्दों में श्रन्त मे यदो निवेदन
करना है कि व
खद् बिदाखेऽनप्डन्दु विचतभेवैः प्रादिभिः ।
सन्तः प्रयपिवश्यानि श्डन्वि हयनद्पवः
श्वागमपरयरेचाहे नापवायः स्वलनपि।
न रि सदर््मना पच्छुन् स्वलिवष्दप्पशेयते ॥
( र्लोकवार्टिक, प्रन्यकार-प्रतिश रलोक ३ और ७)!
User Reviews
No Reviews | Add Yours...