सामायिक - सूत्र | Samayik - Sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
336
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१ | वि्वक््याहैर क्याहै
प्रिय राज्जनो ! यह् जो कुछ भी विश्व-प्रपच प्रत्यक्ष श्रववा
परोध रुप में भ्रापके सामने है, यह वया है * कभी एकान्त मे
टकर इस सम्बन्ध में कुद सोचा-विनारा भी है या नहीं ? उत्तर
स्पाट है निहीं । श्राज का मनुष्य फितना भला हुग्रा प्राणी हे कि
वाद जिस समारे में रहता-सहूता है, श्रनादि्ान मे जहां जन्म-मरण
पी श्रनन्त कडियों का जोड़-तोर लगाता आया है, उसी के सम्बन्ध
मे नहीं जानना कि वद्ध वस्तुत स्याह?
श्रा के भोग-विनासी मनुष्या का उस प्रण्त को ग्रोर, भले टी
लक्ष्य ने गया हो, परन्तु हमारे प्रालीन तन्वलानी सहापुरुपों ने इस
सम्पन्प में बठी टी महन्यपूर्ग गवेय्ताएं की है । भारत के वड
दार्गनिहों ने संसार की उस रदस्यपूर्ण गृन्यी पे युतकनि कै पति
न्तु प्रयतते पिण्ड घोर ये घपने प्रयतता में वटतनकुदद सफन थी
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