प्यारे राजा बेटा भाग - 2 | Pyare Raja Beta Bhag - 2

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Pyare Raja Beta Bhag - 2 by रिषभदास रांका - Rishabhdas Ranka

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१; भगवान ऋषभदेव प्यार राजा बेटा, आज मैं तुम्दें मगवान्‌ ऋषभदेव की कहानी छिख रहा हूँ । ये कितने वर्षो पटले हुए, इस बारे में इतिहास से कुछ भी पता नहीं चलता । वेदं तीन हजार चषं प्राचीन माने जाते हैं । उनमे इनका नाम आया है । कुछ वर्षा पहले सिंध में खुदाई हुई थी । वहाँ की मिली सामग्री ५-६ हजार वषं पहले की बताई जाती है । उसमे जो सिक्के मिले हैं, उन पर भी ऋषभदेव का चिह्न बैठ और मूर्ति पाई गई है। जो हो, माना यह जाता दै कि ये सबसे पदले पुरुष थे जिन्हो देश को कमं ओर पुरुषाथं का ज्ञान कराया । ऋषभदेवजी जैनं के प्रथम तीर्थकर ओर हिन्दुओके आयवे अवतार माने गए ह । इनकी साता का नाम मरुदेवी ओर पिताका नाम नाभिराय था । ऋषभदेव को आदिनाथ भी कहते हे ¦ इसका यह मटङ्ब है कि वे सबसे पहले क्म-पुरुष हुए हैं । ऋष भदेवजी के समय तक इस देश को भोग-मूमि कदा जाता था । यह अत्यन्त प्राचीन काल की बात है। उस समय न तो कोई समा ज-व्यवस्था थी, न मानव-जीवन का कोई आदष्टं था, लोग वृक्षो के नीचे रहते और सददज रूपसे बिना प्रयत्न के जो भी फछ-फूछ मिछ जाते उनसे अपना जीवन-निर्वाइ करते । बहन-भाई मे विचा होता था । कते हैं, उस समय युगढिया पैदा होते थे




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