नागरी प्रचारिणी पत्रिका | Nagari Pracharini Patrika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राम-बनवास का भूगोल १४
दूरी के साथ ठीक ठीक मेल खाता है। फिर भी, उस स्थान को भरद्ाज-भाभम
मानने में एक बढ़ी मारी घड़्चन हैं । तश्रमवान् डा० काठजू ने १६४४ में समाचार -
पत्रों द्वारा पहले-पहल इस शोर ध्यान झाकुष्ट किया । उन्दीं के शब्दों में--
५ रामायण फे श्रनुसार भरद्वाज के श्राभम शौर संगम से चित्रकूट बोस
मील दूर था । यहु वही गंभीर बातहे।.. .. भ्ाजकक्ञ सडक स्कं जाइए तो प्रयाग
से चित्रकूट सत्तर मील से उपर हे भौर हंस-पथ से जाइए सो भी साठ मील से कम
न पढ़ेगा । चित्रकूट एक पहाड़ हे, फलतः एक चल ठिकाना हे । वर्ह रामचंत्र जी
का स्थान कामंद्नाथ जी के नाम से प्रसिद्ध है भौर उसके निकट प्रयाग की आओर
कोई दूसरा पबेत नही हे जो चित्रकूट माना जाय ।”
वाल्मीकि ने चित्रकूट का और प्रयाग से वहाँ के मांग का जैसा स्पष्ट, वास्त-
बिक श्र ब्योरेवार वणेन किया ह * हसका भी उह्लेख तन्र मवान् ने किया है
त्था उन्होंने यह भी लद्य कराया है कि उक्त बीस मील की दूरी वाल्मीकि ने एक
नहीं , दो दो बार दी है । एक बार जब भरद्वाज ने उसे राम को घताया , दूसरी बार
जब भरत को ।' विशेषता यद है कि भरत कं बताई गई द्री योजनो मे है--भढ)ई
योजन । श्र्थीन् इम संबंध मे बाल्मीकि फी जानकारी बिलङ्ल्ञ पक्शी थी ।
४--एऐसी दशा में दहस समस्या का सीधा हल यष्ट है कि खन दिनों गंगा श्ंग-
वेरपुर ॐ पास से धलुषाकार पर्विम को घूम गहं थी नौर राजापुर के 'झासपास
यमुना में मिली थीं क्ष्योंकि बद्दीं से चित्रकूट की दूरी बाईस मील है । इधर श्गवेरपुर
भी वहाँ से बष्दी बाईस तेईस मील पढ़ता है, जितना अधघुनिक प्रयाग से ।
यह बात लक्ष्य करने की है कि वाल्मीकि ने गंगा को यमुना से मिलने के लिय
परिम धूम हु श्रथवा यमुना को गंगा के बेर से पश्विम धूम गई लिखा है।'
भ--“भारत”, सितंबर २,” ४५
६ मुर ९०, २।४१।५-१०
७-- वही, २।४५४।२५८
८- बही, २।६२।१०
४-- गंगायमुनयोःसंधिमादाय मनुजरष॑म
कािन्दौमनुगच्देत नदो परवा्युखाभिताम् ॥-- बही, २।५५।४
दके उक्ष दोनों भथ होतेह! किव टीकाकार ने एक माना है किमी ने दूद्धरा ।
झिंतु भागे के श्लोक से यमुना का कुछ दूर पश्चिम बह जाना हो व्यक्त होता है।
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