दैनिक जीवन और मनोविज्ञान | Dainik Jeevan Aur Manovigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
82.05 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का दैनिक जीवन का सनेाविज्ञान
था यह देखा जाता ट्ठ कि साधारण रूप से स्वस्थचित्त
' च्यक्ति भी कमीनकभी अकस्पात अकारण ही ऐसा भीत हो उठता
_ है कि उसका सारा शरीर पत्थर की तरह जड़ बन जाता है।. ..
“एक व्यक्ति एक वार अपने साथियों के साथ किसी पहाड़ की ... भूल
चोटी पर चढ़ा । पर जब उसने वहाँ से नीचे उतरने की बात... है
साची. तो सय के कारण उसे जैसे लकवा सार गया । वह निर्जीव-
.. सा बनकर अपने स्थान पर यथास्थित खड़ा रद, आर एक पग
भी आगे नहीं बढ़ सका । वह कई बार पहले भी उस पंहाड़ की
चोटी पर चढ़ा था, और नीचे उतरा, था; पर उस दिन न जाने...
.... क्यों उसके सन में यह घारणा जम गई कि नीचे की ओर एक
.... पग झागे बढ़ाते ही वह फिसलकर नीचे खड्ड में गिर पड़ेगा।... ...
..- उसके साथी उसे एक 'स्ट्रचर” में रखकर नीचे ले गये। 'असल में...
उस आकस्मिक भय का मूल कारण निश्चय ही काई दूसरा था,
जिसने पहाड़ से नीचे गिर पड़ने के अय का रूप घारण . कर
_ लिया। हमारी अन्तरात्मा हमें निरन्तर इसी प्रकार ठगती
रहती है । अपने किसी गुप्त मनाविकार के कारण हमारे मन में...
:.... मय की भावना जगती है, पर हमारी अन्तरात्सा किसी बाह्य...
... ... विषय के निमित्त बनाकर उस पर उस भय का कारण आरोपित «
“कर देती है । उल्लिखित व्यक्ति ने छुछ समय पहले अपने एक स्वस्थ
मित्र की आकस्मिक सत्मु का समाचार सुना था। एक मोटर-
... ढुघटना से उसके उस मित्र की मृत्यु हुई थी । उसके झन्तमन
में तब से उसके अनजान में यह मय बना हुआ था कि कहीं
उसकी मत्य भी किसी दुघटना से न ,हो जाय । पहाड़ से नीचे
...उतरते समय अन्तमेन में छिपा हुआ उसका मृत्यु-मय अकस्मातू
एक बहाना पाकर जाग पड़ा, जिसने उसके सार शरीर और मन
: के भयकुर रूप से जकड़ लिया . 7
. मय के कारण शरीर ओर मन के इस प्रकार जकड़ जाने.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...