पूर्व - बुनियादी खंड - १ | Purv- Buniyadee Khand - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वाल्क, पालक श्रौर समाज १० चालक के सुखी-सम्द्ध जीवन की नींव हे । वहीं उसे भागे चढ़ने की शक्ति प्रदान करता है। विकास की सुविधा देना माता-पिता का काम & । चस्तुत्तः चालक के प्रति माता-पिताकी जिम्मेवारी मदाच दै । प्रौद-शिक्षण में साता-पिता या पालक को यह विपय पूरी जिम्मेदारी के साथ समना चाहिए । गरीच माता-पिता छोटे चालक के विकास के प्रति उदास रहते है । उनका खुद का जीवन इतना सीमित रहता है कि जीवित रहना भी उनके लिए ससस्या द्ै। इसी कारण उन्होंने जिंदगी में यह चीज नहीं पायी है । वे इसे झमीरी का खिलौना सानते हैं। आज भारत में विकास- योजना, सनाज-कल्याण आदि अनेक वालवाड़यों खुल रदी है 1 देहात और शहर की गरीव वस्ती मे कोई कायेकतौ काम करसे जाता द । परन्तु इसे निराश्च दोना पड़ता है ! य माता-पिता यह्‌ सुफ्त का लाभ थी नहीं उठाते । अमीर माता-पिता का वारक उनका खुद का खिलोना चनता दे । इसी कारण दोनों की अपेक्षा मे विरोध होता है। जच कि चालक चाहे वहद गरीब घर का हो- चाहे अमीर घर का; स्वभाव आदि से एक-सा दी रहता दे । बह खुद माता-पिता का शिक्षक बनता है। क्योंकि उसकी सच्यी जरूरतें अपने-आप उसड़ पढ़ती हैं । मामूली चसे मे गरो वालको सं कच्ची उन्न में काम लिया जाता इ! इसे काम सिखाना नहीं कदा जा सकता} चं एक प्रकार से विना पये को गुलामी दी ह! पसा बालक च भूलकर वड्ाचडा वन जाता दे1 खासकर गरीब घर की लड़कियों तो घर के कास का भार तथादोट बालन्का भार भी उटाती हे । अतः सावा-पित्ता को यह्‌ ससभ्नाना आचश््यच् ट कि इस इन्न फे वालक अगे च्गनेवाले समाज के निर्साता हैं । १७५३ यदि आरे आनेवाले समाज्ञ को शक्तिशाली चनाना है, तो मान | 2 चप | 2) #




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