पूर्व - बुनियादी खंड - १ | Purv- Buniyadee Khand - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वाल्क, पालक श्रौर समाज १०
चालक के सुखी-सम्द्ध जीवन की नींव हे । वहीं उसे भागे
चढ़ने की शक्ति प्रदान करता है। विकास की सुविधा देना
माता-पिता का काम & । चस्तुत्तः चालक के प्रति माता-पिताकी
जिम्मेवारी मदाच दै ।
प्रौद-शिक्षण में साता-पिता या पालक को यह विपय पूरी
जिम्मेदारी के साथ समना चाहिए । गरीच माता-पिता छोटे
चालक के विकास के प्रति उदास रहते है । उनका खुद का जीवन
इतना सीमित रहता है कि जीवित रहना भी उनके लिए ससस्या
द्ै। इसी कारण उन्होंने जिंदगी में यह चीज नहीं पायी है ।
वे इसे झमीरी का खिलौना सानते हैं। आज भारत में विकास-
योजना, सनाज-कल्याण आदि अनेक वालवाड़यों खुल रदी है 1
देहात और शहर की गरीव वस्ती मे कोई कायेकतौ काम करसे
जाता द । परन्तु इसे निराश्च दोना पड़ता है ! य माता-पिता यह्
सुफ्त का लाभ थी नहीं उठाते । अमीर माता-पिता का वारक
उनका खुद का खिलोना चनता दे । इसी कारण दोनों की अपेक्षा
मे विरोध होता है। जच कि चालक चाहे वहद गरीब घर का हो-
चाहे अमीर घर का; स्वभाव आदि से एक-सा दी रहता दे । बह
खुद माता-पिता का शिक्षक बनता है। क्योंकि उसकी सच्यी
जरूरतें अपने-आप उसड़ पढ़ती हैं ।
मामूली चसे मे गरो वालको सं कच्ची उन्न में काम लिया
जाता इ! इसे काम सिखाना नहीं कदा जा सकता} चं
एक प्रकार से विना पये को गुलामी दी ह! पसा बालक च
भूलकर वड्ाचडा वन जाता दे1 खासकर गरीब घर की
लड़कियों तो घर के कास का भार तथादोट बालन्का भार
भी उटाती हे । अतः सावा-पित्ता को यह् ससभ्नाना आचश््यच् ट
कि इस इन्न फे वालक अगे च्गनेवाले समाज के निर्साता हैं ।
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यदि आरे आनेवाले समाज्ञ को शक्तिशाली चनाना है, तो मान
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