शासनपद्धति | Shasanapaddhati
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
306
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २ )
सत्तात्मक राज्यप्रशालीवाले देशों का उद्देश्य हैं । दिनपर
दिन सभ्य देशों में राजकाये में जनता का हाथ बढ़ाया जा
रद्दा है । कई देशों में ते खियों को भी सम्मति देने का
अधिकार प्राप्त हो गया है । स्विट्जरलैंड ने किस प्रकार श्रादशे
राज्य का पद अ्रहण किया है, यह हम श्रागे चलकर स विस्तर
लिखेंगे, परंतु यहाँ पर यद्द लिख देना श्रावश्यक प्रतीत हेता
दै कि स्विटूजलंड की शासन-प्रणाल्लो प्रजासत्तात्मक राज्य के
सिद्धतां के श्रति समीप तक पहुँचती है । इसका कारश
वहां पर जन-सम्मति-विधि तथा शक्ति-सविभाग क सिद्धति
का श्रवलंबन ही कहा जा सकता हे ।
शासन-पद्धति की दृष्टि से युरापीय राष्ट्र अमेरिका के बहुत
ही कृतज्ञ हैं । रा्रसेघटन का निर्माता अमेरिका दी है ।
जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जलैंड श्रादि देशों को अमेरिका ने शासन-
पद्धति के विषय में बहुत कुछ शिक्षा दी है। स्त्रिट्जलैंड
ने तो श्रमेरिका को देखकर ही श्रपनी शासन-पद्धति का
निर्माण किया है ।
जमेनी की शासन-पद्धति विचित्र ढंग की हे । यद्दी कारण
है कि इस पुस्तक में जमेनी पर विशेष विस्तार से लिखा गया
है, क्योंकि बिना ऐसा किए उसकी शासन-पद्धति को समभना
पाठकीं कं लिये कठिन हा जाता । महासमर के उपरांत
युरोप के कईं देशो की शासन-प्रथाली में बहुत रहोबदल ह
गया है । उनमें से जर्मनी, झास्ट्रिया-हंगरी, रूस प्रभ्नति देश
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