जीवन की पाठशालाएँ | Jkiwan Ki Path Shala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.33 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कु
( १३
कुछ गाना दोना चाहिये! एक गाना सनाझो ।” उसने
प्लेतनेव से कहा । अपने घुटने पर गितार रखकर जार्जे ने
गाया; 'ललाक्न सूरज ऊग झा ” उसकी मद्दीन 'यावाज श्ात्सा
के दप्त कर रददी थी।
सब कोई खामोश बैठे थे । काफी ।लोग इकट दो गये
थे। उस व्यापारी की स्त्री ने कहा, 'तुम बहुत दी अच्छा.
गाते हो ।”
_ मारूसोवका के पीछे दो गलियाँ थीं । दूसरी के भन्त सें
निकीफोरिच का छप्पर था । यह लम्बा बूढ़ा ्ञादमी हमारे सिले
सें पुलिस कप्तान था। उसके छाती पर अनेक तगयें लगे थे ।
वट्ठ बहुत शिष्ट था । उसकी चमकती 'ॉर तेज छांखों के कारण
वह काफी धलतुर भी दिखाई पढ़ता था। वद्द दम लोगों के
मकान पर निगाद्द रखता था । शक्सर दिन में वह छाता
भी था । झक्सर वह चुपचाप झ्शकर खिड़कियों से भीतर के .
दृश्य भी देखा करता ।
उस जाड़े सें माख्सोवका के रहने वाले कुछ किरायेदार
पकड़ गये थे । उनसें एक फौजी झफसर स्मीरनोव, आर
सिपाही सुरातोव भी थे जिनके पास सेंट जाजें के कई पदक
भी थे । इनके अलावा जोवनीन, 'ोवसी झान्कीस, प्रिगोरिच,
क्रिरठोव झौर कुछ और थे। उन पर एक रोर कानूनी प्रेस
चलाने का जुमें था । गिरक्कार द्वाने वालों में एक 'ीर था जिसे
हम लोग “उत्वी मीनार' कहते थे । छुवद् व्योंह्ी मेंने जाज॑ के
उसकी गिरफ़ारी का समाचार दिया कि उसने घबड़ा कर फद्दा;
'दोड़ो सैक्सिम, लितनी जल्दी संभव हो'** *” छोर मुझे पता
चताया ध्लौर कहा; 'द्वेशियारी से जाना चदों जासूस लगे होंगे 1
मैं उसकी छाज्ञा लेकर सागा ।'
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