ज्ञान का अमृत | Gyan Ka Amrit

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Gyan Ka Amrit by जैन-धर्मं-दिवाकर - Jain Dharma Diwakarज्ञानमुनी जी महाराज - Gyan Muni Ji Maharaj

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ज्ञानमुनी जी महाराज - Gyan Muni Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ 1 कहा सुख और जीवन दुःख का कारण कया है ? पापसे डरो केर होकर भी गीदड़ जैसा कमं वषा फन कर्म और पतभकड़ श कर्मो की विलक्षण क्ति १ कर्म बया है ? १ कर्म शब्द का श्रं ६ कर्मों के दो भेद १६ परमाणु कंसे श्राकृप्ट होते है? २० कमं श्रात्मासे कंसे जुडने है? २१ कंमंवाद का श्राविर्भावक्यो ? २२ कमं की सत्ता में क्या प्रमाण है ? २५ व्यवहार में कमं की उपयोगिता ३० जीव और कमं का सम्बन्ध कंसे ?३२ मूत्तं अमूत्तं को कंसे प्रभावित करता है? ३३ कम को शुभाशुभ रूप ३५ जीष भ्रौर कमं का सम्बन्ध कव से है? ३६ कमं अपना फल कंसे देते है? ४० बिजली का पंखा ४५ बिजनी का अद्‌भुत नल, बल्व, जीवित मनुष्य का रेडियो, टेलीविजन मीजाइल राडर, राकेट, टैलीप्रिष्टर, झपोलो लुनोखोद बेरोमीटर कम्प्युटर ईदवर कमं का फल नहीं देता भगवद्गीता ओर कर्मफल परमात्मा के तीन रूप अशुभ कर्मो से बचो कर्मों के आठ भेद बन्घ कया होता है ? प्रकृतिबन्घ स्थितिबम्ध अनुभागवन् प्रदेशाबन्धं कमं की चार भ्रवस्थाए कमं का निकाचित खूप ज्ञानावरणीय कमं दरशनावरणीय कमं वेदनीय कर्म मोहनीय कमं ~ 1 ४६ ५दे ५६ ५७१५ ७६ ८9. ४८२ द ठर ८४ पद ध. 2.1 ८६ ६३ दे ड




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