भारतीय नरेश और राष्ट्रीयता | Bhartiya Naresh Aur Rashtriyta
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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No Information available about जगन्नाथप्रसाद मिश्र - Jagannath Prasad Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)11
वीस सदस्यो की उपस्थिति मे नरेशो के विजेषाचिकारो को समाप्त करने का
प्रस्ताव रखा गया, महाराष्ट्र के सदस्य श्री मोहनलाल बारिया ने इस प्रस्ताव
में यह संशोधन प्रस्तुत किया कि विशेपाधिकारो के साथ नरेशो के 'प्रिवीपर्सो*
को भी समाप्त कर दिया जाए । तत्कालीन काग्रेसाध्यक्ष श्री कामराज ने इस
विपय में कोई रुचि नही ली और प्रवान मन्त्री श्रीमती इन्दिरा मधी एव
अन्य कांग्रेसी नेता उस समय उपस्थित नही थे । जैसे ही इस प्रस्ताव पर
मतदान प्रारम्भ हुआ, उपप्रधान मस्त्री श्री सोरारजी देसाई थी मतदान में
भाग लेने के लिए पहुँच गए । अब सदस्यों की सख्या 21 हो गई । प्रस्ताव के
पक्ष मे 17 एवं विरोध मे 4 मत पड़े और वह पारित हो गया । इन [17
सदस्यों मे से कुछ ऐसे भी थे जो किसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं करते
थे । विरोध में दिए 4 सतो ये से एक मत उपप्रघान मन्वीका था, जो ठीक
सत्तदान के समय पर केवल अपना विरोध व्यक्त करने के लिए ही वापस
आए थे । इस प्रकार महासमिति के सदस्यों की कुल सख्या के तीसवे भाग से
भी कम सदस्यों की राय को पुरी महासमिति के ऊपर लाद दिया गया हैं ।
लोकतन्त्र प्रणाली के वहुमत्त का जैसा उपहास इस प्रस्ताव के पारित करने में
हुआ, वहू अपने नमूने कौ एक ही घटना है 1
इस घटना से स्पप्ट हो जाता है कि यह प्रस्ताव कांग्रेस के आदर्शों के
अनुरूप नहीं है, बल्कि कुछ गिने चुने लोगो की नरेशो के प्रति व्यवितगत
ईर्ष्या एव ट्वेप की प्रतिक्रिया है ।
प्रस्तावित निर्णय को लोकतत्री जामा पहनाने के लिए इसे लोक सभा में
५ । जहा सयुक्त समाजवादी दल तया प्रजा समाजवादी दल के
सदस्य & रि | सिर ः
इ रा ^ व गया, भौर काग्रेसियों से द्विप
स्वतस्त्र दल के श्री सी० सी ० देसाई ने, जिनका सरदार पटेल से निकट
का सम्पकं रहा था, सदस्यो को सम्बोधित करते हुए प्रइन किया, “यदि आज
सरदार जीवित होते तो क्या इस समूह मे से कोई भी व्ययित 'प्रिवीपर्सो' के
समाप्ति की वात करने का साहस कर पाता ?” आगे उन्होंने सरदार पटेल
के वक्तव्यो को उद्घृत करते हुए बताया कि अकेले ग्वालियर के महाराजा ने
टी इतनी धनराशि दी है कि नरेगो के “प्रिवीपर्सा' का बहुत वडा भाग उस
राशि से ही चुकाया जा सकता है । ^
ध 8 देसाई ने काग्रेंस 4 प्रत्यक्ष आरोप लगाते हुए कहा, “आपका कहना
त हैं, नरेश अव अपनी रियासते आपको सौप चुके है और आपके शिकजे
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