विशाखदत्त प्रणीत मुद्राराक्षस एक आलोचनात्मक अध्ययन | Vishakhadatta Pranit Mudrarakshas Ek Aalochanatmak Adhyayan

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Vishakhadatta Pranit Mudrarakshas Ek Aalochanatmak Adhyayan by मृदुला त्रिपाठी - Mridula Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आसपास पाये जाते है। इससे भी यह प्रमाणित होता है कि विशाखदत्त उत्तरभारत के ही किसी स्थान मे निवास करते थे। इस प्रकार धान की खेती की क्षेत्रीय विशेषता, के वर्णन करने गौड़ देश की खियो के प्रसाधन तथा उनके आकार-प्रकार आदि के वर्णन करने, पूर्वी भारत की खस एवं मगध जातियो का सेना के प्रमुख अज्ञ के रुप मे उल्लेख करने, नाटक मे गौडी रीति का आश्रय लेने तथा काशपुष्पो एवं राजहंसो के यथार्थ वर्णन करने के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि विशाखदत्त पूर्वी बिहार अथवा बंगाल के पश्चिमी भूभाग मे किसी स्थान मे निवास करते थे। प्रो० विल्सन का मत, एवं उसका निराकरण :- प्रो० विल्सन ने विशाखदत्त को अजमेर का निवासी सिद्ध करने का प्रयास किया है) मद्रारक्षस के विभिन्न संस्करणो मे विशाखदत्त के पिता भास्करदत्त के नाम के स्थान पर पृथु नाम का उल्लेख प्राप्त होता है इसके आधार पर प्रो विल्सन ने यह निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया है कि मुद्राराक्षस कौ प्रस्तावना मे उल्लिखित पथु एवं अजमेर (राजस्थान के एक नगर) के पुथुराज या पृथुराय अभिन्न है।* किन्तु काशीनाथ त्र्यम्बक तैलङ्ग ने मुद्रारक्षस को भूमिका मे विल्सन के मत का खण्डन किया हे। तैलङ्ग के अनुसार प्रस्तावना मे विशाखदत्त के पिता के रूप मे उल्लिखित पृथु को महाराज पदवी से विभूषित किया गया है। जब कि अजमेर के पृथु केवल पुथुराज या पृथुराय है, अतः इन दोनो को एक नही माना जा सकता। ये दोनो नितान्त प्रथक्‌ व्यक्ति है।* वैसे प्रस्तावना मे उल्लिखित पृथु शब्द ही प्रामाणिक नही है। क्योकि शीतांशोरंशुजालैर्जलधरमलिनां क्लिश्नती कृत्तिभेमीम्‌। कापालीमुद्रहन्ती स्रजमिव धवलां कोमुदीमित्यपूर्वा हासश्रीराजहंसा हरतु तनुरिव क्लेशमैशी शरद्रः।। मुद्रा ३/२० , प्रस्तावना प्र १३, मुद्राराक्षस, एम० आर० काले, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली ः पुफ़&26, र्ग 11801, 11-7 128, मदरारक्षस की भूमिका, सम्पादित कान्तानाथ शारी त्रयग्बक तैलङ्ग, पृ० १२




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