हिन्दी शब्द रचना | Hindi Shabd Rachna

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कोपनहागन १९६० पृष्ठ ७१ | उदाहरणार्थ हिन्दीमे घोडा शब्द एक पशु-विशेषका वाचक है इस अथेके निर्धारणका मूल श्रोता- वक्ताका अज्ञात समभोता है । पुस्तकने इसी अशके महत्त्वका सूल्याकन करते हुए भाषाको एक सामाजिक वस्तु कहा है । ख पुस्तककी विचारशीलता इससे भी निश्चित होती है कि इसमे केवल शाब्दोकी सुचियाँ ही नही दी गयी अपितु साथ-साथ दष्टान्तपूर्वक शब्द-वैचित््यकी घटनाओपर भी विचार किया गया है । उदाहरणार्थ पृष्ठ रथ में यह भी बताया गया है कि हिन्दी भापामे अथभेदको जतलानेके लिए एक ही शब्दके भिन्न-भिन्न रूपोका प्रयोग कियां जाता है जैसे- गभिसणी मोनव-स्त्रीका उल्लेख करके और गाभिन पशुका निर्देश करके प्रयोग- मे लाये जाते हैं । इसी प्रकार सस्कृत सौभाग्य और सुहाग व्युत्पत्ति- की एष्टिसि तो एक ही शब्द हैं परन्तु उनका अथथ भिन्न-भिन्न हो गया है । अँगरेजीमे केमेरा 0816४ और चेम्बर का भी यही हाल है। यदि भाषा इस बैविध्यरूपी यन्त्रका प्रयोग न करती तो नये-नये शब्द गढनेकी विपत्ति आ जाती । ग शास्त्रीय दष््िकोणके अतिरिक्त हिन्दी भाषाकी आधुनिक परि- स्थिति व्यावहारिक जगत्‌की माँग और जनताकी हिन्दी शब्दोके लिए प्रतिदिन बढती हुई उत्सुकतापर भी इसमे यथोचित विचार किया गया है और बताया गया है कि शब्द-निर्माण मानो आवश्यकताओकी मजबूरीका फल वनकर हमारे सिरपर आ पडा है तथा आधुनिक अव- स्थाओमे नये शब्दोकी बाढ का निर्देश किया गया है पृष्ठ २६-२८ । प्रतीत होता है कि मजवूरियोने ही ऐसी विचारगभित और विचार-प्रव- तंक पुस्तककों भी उत्पन्न कर दिया है । जब सन्ततियोके भविष्यका एक जटिल समाजकी सस्कृतियोका प्राचीन आचार्योकी परम्पराका भौर ठोस वौद्धिक प्रगतिका प्रइन हो तो इस प्रदनकों हल करनेके लिए मानों एक ठीक अवसरपर इस पुस्तकका प्रादुर्भाव हुआ है । प्रस्तावना शपथ




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