हिन्दी कोश साहित्य | Hindi Kosh Sahitya

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Hindi Kosh Sahitya by डॉ अचलानन्द जखमोला -Dr. Achlalnand Jakhamola

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कोश-विज्ञान विषयक सामान्य परिचय १७ कोश को ही भाँति कोशकार भी दोनों रूपों में लिखा जाता है । दब्द कल्पद्रूम में दोनों रूपों की व्यृत्पत्ति सामान्यतः एक ही प्रकार से दी गई है । इसका अयथ ईक्षु ऊख या कुसियार विशेष भी होता है । यह गुरु शीत रक्त पित्त तथा क्षयनादक है । कोशकार मूल वर मध्य में मधुर होता है । यह एक प्रकार का कीड़ा भी होता है जिसकी आकृति तथा कर्म रेशमी कीड़े के ही सदुश है । वह एक जनपद ब्रिद्षेष भी था जहाँ पहले तन्तुकोट उत्पन्न होते थे । यह कोशकार भूमि आसाम राज्य के उत्तर स्थित चीन देश जैसी अनुमित होती है । भौगोलिक टॉलेमि ने सिरिके नाम से इसी भूभाग को अभिहित किया है । रामायण में भी उत्तरवर्त्ती जनपदों में कोशकार जनपद का उल्लेख मिलता है । परन्तु ये सभी प्रयोग गौण तथा अप्रचलित हैं । बहुप्रचलित मुख्य तथा मूलभूत रूप से अथ॑ सहित या रहित दाब्दों का संग्रह करने बाला या अभिधानकर्ता ही कौशकार है कोष॑ अथे सहित दाब्द संयोजन रूप॑ ग्रन्थ विशेष करोति कोश एवं दब्द का सम्बन्ध दारीर तथा आत्मा का सा है । अतएव शब्द के जन्म ब्रिकास परिवतंन वर परिव्रद्ध॑न के साथ ही कोदा के मूलभूत उपादान एवं सामान्य लक्षण विषयक धारणायें भी समय की अब्रधि के साथ-साथ परिव्रतित होती गई। आज कोश में शब्द संग्रह ही नहीं उनका सम्यक व्रण-विन्यास अथं प्रयोग पर्याय आदि का देना भी आव्रदयक माना गया है । कोश शब्द अंग्रेज़ी के डिक्शनरी शब्द का समानार्थी है । यह से प्रथम अंग्रेजी विद्वान्‌ जॉन गारल ण्ड द्वारा सन्‌ १२२५ ई० में दब्दों की एक सूची डिक्शानरियस-- डिक्शनरी अथ में लेंटिन दाब्दों को कंठाग्र करने के लिये निर्मित एक पांडुलिपि के दीर्षक के लिये प्रयूक्त कियां गया था जिनमें दाब्द.अकारादिक्रम में संयोजित न होकर १. कोश कोब करोति त्वक्‍्पत्रादिमिरात्सानसाच्छादयति । कोश कोष कु उाअण -दाब्दकल्पद्रुस खण्ड २ भाग १ प्‌ २०५--२०६ । २८ दाब्दरत्नावली । ३. राजवल्लभ ।...... .. ४. भावप्रकादा । ५. कोष स्ववेष्टनं स्वसखनि सतलालारूपतन्तुभिः करोतीति -सुश्रुत । ६. अल परिग्रहेणहू दोषवान्‌ हि परिग्रहः । कृमिहि कोषकारस्तु बध्यते स्वपरि ग्रहात्‌ ॥-- महाभारत १२।३२९२९ । ७. सागधघांश्च महाग्रामान्‌ पुण्डस्तंगा तथेव च । भूमिव्चकोषकाराणां भूमिव्च रजताकरम्‌ ॥--रामायण किष्किन्थाकाण्ड ०डेडे ॥ ८. बहत हिन्दी कोद में देखिय कोष दाब्द । ९ हा 0एएणए८५ ८ एबी. कृत पिटिएए ता --दे० नेलसन्स एनसाइक्लोपीडिया खण्ड ३ पु० २०८ ॥ ग्




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