नवीन गीत | Naveen Geet
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
65
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1न्ालारल्धोपतााणक एम कक मा
नवीन गीत द
र उर गट करना न सल्ला
प्यार उर से ले प्रकट करना न सीखा
पास से ही जा रहा रुकना न सीखा
लाज से प्रावा दबी थे नेत्र सकुचे
थे असंख्यक भाव पर कहना भन सीखा |
वायु दोनों देह की गति से बही जो,
्रात्म-विस्छति की कणिक दुनिया मिली जो,
दाथ को छूता हुआ अंचल उड़ा था,
पर अभागों ने परस करना न सीखा |
शीश का परिघान सरकाते हुये तुम, |
जान कर अनजान से जाते हुये तम
सिल गये पथ में विकल उर रो उठा था
परुं ने सामने गिरना न. सीखा 1.
सामि की नित गंध घन-वेसी दिवाकर
फल-तारक, सत्र सिन्दूरी लगा कर
नोल अखल को उठाता छिप रहा. क्या ८
प्रेम तमने देख भी करना न सीखा है
गोर अंगी नील सारी मं ढंकी थी
रेशमी सुस्कान अधरों पर सहाती,
लाल जलधर को टँकँ ज्यों नील वारिद
ऽ चला उन पर तनिक सी खेल जाती
विश्व सारा पृष्टुता. उस प्रियतमा कों
म्प्र का वसन कभी करना न सीखा 1!
कर रही नीराजना जिसकी नियति है
डाल कर नभ दीप मे स्वगग-बाती
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