मेरी दुनिया | Meri Duniya

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Meri Duniya by महेंद्र नाथ - Mahendra Nath

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पढ़ें । यही कारण है कि जब कहानियों में झश्लीलना के बिरुद्ध ब्याचाज़ उठी तो मणदों ने लगातार ऐसी कहानियां लिखती शुष् कर दी जिनको अश्लील कहा जा सके और जब मर्दों ने देखा कि उप रास्ते पर भी उनके साथ बहुत से दूसरे लोग हो गये हैं तो उन्हों ने फिर अपना रास्ता बदल दिया | पर अकेले चलने वाले कभी कभी रास्ता भूल भी जाते हैं ब्यौर दूसरे को चौंकाने बाली हरकतें करने वाले कभी कभी खुद तमाशा बन जाते हैं । घर यही दाल आजकल उदू के इस मद्दान लेखक का है जो प्रगविवाद की साफ़ स्वच्छ और खुली सड़क को छुंडड़ कर प्रतिक्रियाबादू की संकीयणं दुगंन्ध झौर छंघेरी गली में भटक रहा है । मणठों पर तीन बार झशलील कहानियाँ लिखने के झापराध में सरकर ने मुकदमा चलाया । काली शलवार छौर बू कहानियां लिखने पर जा मुकदमे चहे उनके ख़िलाफ़ उदू के समस्त प्रगतिशील सेखकों झौर पत्र पत्रिकाओं मे श्ावाज़ उठाई बार मर्दों सम्मान के साथ बरो हो गये किन्तु तीसरी बार ठण्डा गाश्त कहासी लिखन के छापराध में उस पर जो मुक्नदूमा चला उसमें उन्हें तीन मास का कठिन कारावास सिला आौर इस बार मण्टों से स किसी ने सहानुभूति प्रकट की ने किसी ने उत्तकी सहायता या रक्ता के लिये क़द्स उठाया | यद्यपि झाज मण्टो जिस रास्ते पर जा रहे हैं बह बहुत दी खतरनाक है पर यह कहना उनके प्रति झन्याय होगा कि ये इसी रास्ते से मंजिल तक पहुँचने में विश्वास करते होंगे। सम्भव है कुछ दर लगे और सम्भव है कि बहुत जल्द मण्टों साम्प्र- और प्रतिक्रिया के शलत सागे को छोड़ कर फिर उसी शस्ते पर आ जायें जो मानव प्रेम का रास्ता है जो विश्व शान्ति साव॑




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