साहित्यकार चित्रावली | Sahityakar Chitravali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.98 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खड़ी बोली को काव्म-भाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने वाले
हरिश्रौव जो का उन्नायक-व्यक्तित्व श्रत्यन्त प्ररणारुपद था ।
झाप का जन्म सन १८६५ में उत्तर प्रदेश के श्राजमगढ़ जिले के
निजामाबाद कस्बे में हुआ था । 1
शिक्षा का क्रम झधिक न चल सका । नामंल परीक्षा पास कर
के श्राप ने निजामाबाद में श्रध्यापकी शुरू की, फिर वर्षों तक
राजस्व विभाग में सदर कानूनगों के पद पर रहे । यहाँ से भ्रवकाश «.
ग्रहण करने पर पं० मदनमोहन मालवीय के श्नात्रह पर काशी हिन्दू
विश्वविद्यालय में श्रवेतनिक हिन्दी प्राध्यापक का कार्य किया ।
श्राप संस्कृत, फारसी श्रौर उर्दू के प्रकाण्ड पंडित थे ।
प्रारम्भ में भ्रापने नाटक तथा उपन्यास लिखे परन्तु शीघ्र ही
काव्य-सूजन की श्रोर झाप की रूचि बढ़ी श्रौर थोड़े वर्षों के सृजन
के बाद ही श्राप को खड़ी बोली का प्रथम महाकवि होने का श्रेय
मिला ।
श्राप की प्रमुख रचनाएं है-- रुविभणी परिणय, ठेठ हिंदी
का ठाठ, श्रचखिला फूल, रसिक-रहस्य, प्रेम प्रपच, प्रेम पृष्पहार,
काव्योपवन, प्रियप्रवास, कर्मवीर, चोखे चौपदे, चुभते चौपदे शरीर
चेदेद्दी वनवास श्रादि ।
'प्रियप्रवास' को हिन्दो साहित्य का महाकीव्य माना गया है ।
सन १६९४ में श्राप हिन्दी साहित्य सम्मेलन के भ्रध्यक्ष हुए ।
सन १६४१ में छिहत्तर वर्ष की श्रायु में झाप का देहान्त होने से
हिन्दी साहित्य ने भ्रत्यन्त श्राकपक व्यकित्तत्व भौर महाकवि खो
दिया । ७
मो अयोध्यासिह
ब उपाध्याय
'हरिऔध'
द.
()
जन्म : सन १८६४
निधन : सन १४४१
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