प्रबंध सागर | Prabandh-sagar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
516
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्बन्व-सागर
प्रध्याय १
हिन्दी-गद् का विकास
4, न्दी गथ का प्ररस्मिक विकाक्--वरतमान हिन्दी का जौ स्वरूप प्राज दिख.
शाई दे रहा है उसके उद्गम श्रौर प्रारम्भिक भ्रवस्था फा ठीक-ठीक ज्ञान प्राप्त करना
सरल काम नहीं । भाषा-बैजानिकों की' खोजों से ही' सांकेतिक रूप से इतना ज्ञान प्राप्त
हो सका है कि १९वीं शताब्दी के आस-पास भ्राधुनिक खड़ी बोल-चाल की शाषा का
प्रचलन भारत में प्रारम्भ हुमा होगा । यवन-श्राक्रमणों से एवं शौरसेनी, मागधी इत्यादि
अपन 'श भाषाएँ विभिन्न प्रात्तों में बोल-वाल के लिए प्रचलित थी । मुसलमानों ॐ
शासन॑-काल गैः उनकी भाषा यहाँ की भाषा से प्रभावित हुई श्र यहाँ की' भाषा को
उनकी भाषा ह्वार अभावित होना भतिवायं हो गथा । राजा शिवश्रसाद ने कहा है;
“संस्कृत की गौरव-गरिमा तो हिन्दू-साझ्राउ्य के भ्रस्त होनेके साथ ही लुप्त होने.सी
लगी थी । भ्ररवी, तुरी श्रौर फारसी, जो मुसलमान शासकों की भाषा थी, मुसलमान
एेनिफ श्रपमे साथ लाये थे, उनका सम्मिश्रण क्रमकः भारत की प्रान्तीय भाषाओं में
हा । फारसी को राज-वरनार की भाषा बनाने का सौभाग्य मिलने स दस सम्मिश्वण
में ध्रौर भी समुगमता हुई ।” विदेशी भाषाओं के ससगे से प्राधुनिक हिल्दौ की जन्म-
दाची त्रज-मापा का भी काया-पलट हरा भर उसके रूप में भी परिवतंन स्पष्ट दिख-
लाई पड़ने लगा । हिन्दी का 'हिल्दी' नामकरण मुसलमानों ने ही भेरठ-देहली के
आस-पास फी योल-चाल की भाषा के भराधार पर कियाथा।
हिन्दी भ्रथवा यह मिश्रित भाषा, जो भारतीय रौर भुसलमानी भाषार्भो के
सम्मिश्रए से बनी, भ्रणनी परिपक्व भवस्था को १२बीं शताब्दी में पहुवी । भमीर
खुसरो के हिंग्दी' खड्टी बॉली के कुछ उदाहरण उस काल की भाषा की व्यवस्थित रूप-
रेखा के ज्वलन्त उदाहरण हैं :--
“चार महीने बहुत चले और महीने थोरी ।
मीर खुसरों थों कहें तू बता पहेली मोरी
>९
व्णोरी सोने सेज दै, सुख ये डारे केले ।
बल खुलरों घर आपने रैन भड़ चहुँ देख ॥*
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