अकबरी दरबार | Akabari Dharavar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Akabari Dharavar  by बाबू रामचन्द्र वर्मा - Babu Ramchandra Verma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma

Add Infomation AboutRamchandra Verma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ३ 1 बहुत ही समीप छा गवा थ); इसलिये हुमायूँ ने उखे झमरकोट में छोड़ा श्रौर आप झागे बढ़कर पुरानी लड़ाई लड़ने लगा । उसी अवस्था में एक दिन सेवल ने आकर समाचार दिया कि मंगल हो, प्रताप का तारा उदित हुआ है । यद्द तारा ऐसी विपत्ति के समय मिज्नमिज्ञाया था कि उसकी ऑर किसी की झाँख दी न उठो । पर भाग्य भव्य कहता दोगा कि देखना, यह्दी तारा सूय्य॑ होकर 'चमकेगा; भौर ऐसा ष्वमकेग) किं इसके प्रकाश में सारे तारे घुँबछे क्र भोजे गोल हो जायेंगे 1 तुर्कों में दस्तृर है कि जब कोई ऐसा मंगढ-समा चार छाता है, तथ उसे कुछ देते हें । यदि कोई साधारण कोटि का भला आदमी दोगा, तो वष्ट अपना चंगा ही उतारकर दे देगा। यदि अमीर है, तो झपनी सामध्य के अनुसार खिलश्रत, घोड़ा और नगद जो कुछ हो सकेगा, देगा । नौकरों को इनाम इकराम से खुश करेगा । हुमायूँ के पास जब खवार यह्‌ सुम्रमाच।र लाया, तब उसके दिन छाच्छे नहीं थे । उसने दाएँ बाएं देखा, कुछ न पाया । फिर याद कि कस्तुरी का एक नाफा दै | उसे निकाछकर तोड़ा नीर थोड़ी थोढ़ी कस्तूरी सब को दे दी कि झकुन खाढी न जाय । भाग्य ने कहा होगा कि जी छोटा न करना; इसके प्रताप का सौरभ सारे संब्ार में कस्तूरो के सौरभ की माँति फैरेगा । इस नवजात शिशु को ईश्वर ने जिस प्रकार इतना घड़ा साम्र उप झौर इतना वैभव दिया, उसी प्रकार इसके जन्म के समय अड्डों को भी ऐसे ढंग से रखा कि जिसे देखकर धत्र तक बड़े बढ़े उपोतिषी चकित होते हैं । हुमार्यू रबयं ज्योतिष शास्त्र का अच्छा क्षाता था । वह प्रायः उसको जन्मकुंडक्ी देखा करता था श्र कदता था कि कई बातों में इसकी कुंडली अमीर तैमूर को कु डडी से भी कहीं झच्छी है । उसके खास सुस्राइयों का कदना दै कि कभी कभो ऐसा होदा था कि बढ देखते देखते उठ खड़ा होता था, कमरे का दरवाजा बंद कप्ठेवा या,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now