जायसी साहित्य और सिद्धान्त | Jayasi Sahity Aur Siddhant

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Jayasi Sahity Aur Siddhant by यज्ञदत्त शर्मा - Yagyadat Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पान जायसी की जवनी & नौ सो बरस इत्तिसि जव भष्‌। तब :एहि कथा के श्राखर कहे ॥ -- वही प्रष्ठ ३८८ । काव न॑ श्राखरी कलाम नी रचना ३३६ हिजरीं में की । भा अवतार मोर नौ सदी । तीस बरस ऊपर कवि बदी ॥। श्र्थात्‌ यह रचना श्रापने तीस वर्ष की श्रायु में लिखी । £३६ हिजरी मैं से तीस वर्ष कम हो जाने पर ६०६ दिजरी श्राती है । बस यही जायसी की निश्चित्‌ जन्म तिथि ठहरती है । कवि की जन्म तिथि के विषय मैं हम च्राखिरी कलाम के श्रतर्सात्त को ही सबसे अधिक प्रामाणिक मानते हैँ | जायसी का जन्म स्थान कुछ विद्वानों का मत है कि मलिक मुद्म्मद जायसी किसी अन्य स्थान के रहने वाले थे श्रौर बाद में श्राकर जायस में बस गये । पं ० सुधाकर और डाक्टर प्रियर्सन का यही मत है कि कवि यहाँ का रहने वाला नहीं था । इनके इस कथन का श्राधार जायसी की निम्नलिखित पंक्ति है : जायस नगर घर झस्थानू । तहाँ श्राइ कवि कीन्ह बखानू ॥ 'तहाँ आ्राइ” शब्दों के आधार पर डा० प्रियसन श्रौर पं० सुधाकर कामत यहं बना कि जायसी ने कहीं बाहर से श्राकर जायस में निवास किया श्र वहीं पर पद्मावतु $ स्वना की | परन्तु इस विषयमे त्राचायं रानचन्द्र शल का विचार इनफे विपरीत । “पर यह ठीक नहीं । जायस वाले ऐसा नहीं कहते । उनके कथनानुसार मलिक मुहम्मद जायस के ही रहनेवाले थे । उनके घर का स्थान श्रब तक वहाँ के कंचाने मुदल्ले में बताते हैं ।””* श्रतसांद्‌ के श्राधार पर भी जायस उनका जन्म स्थान सिद्ध होता है | कवि ने लिखा हे | जायस नगर मोर श्वस्थानू । नगर क नांव श्रादि उद्यन्‌ ॥ तहाँ दिवस दस पहुने श्राएडं । भा बेराग बहुत सुख पाएऊ ॥। वहीं प्रृष्ठ ३८७ यहाँ 'पहुने” कहने का तात्पर्य भी कुछ विद्वान कवि के बाहर से आ्राकर जायस --+-----~ -- ------*--~ गए अल ~ ~ + ऽ [भस भंधाषलो पृष्ठ 8




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