जायसी साहित्य और सिद्धान्त | Jayasi Sahity Aur Siddhant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पान
जायसी की जवनी &
नौ सो बरस इत्तिसि जव भष्।
तब :एहि कथा के श्राखर कहे ॥
-- वही प्रष्ठ ३८८ ।
काव न॑ श्राखरी कलाम नी रचना ३३६ हिजरीं में की ।
भा अवतार मोर नौ सदी ।
तीस बरस ऊपर कवि बदी ॥।
श्र्थात् यह रचना श्रापने तीस वर्ष की श्रायु में लिखी । £३६ हिजरी मैं से
तीस वर्ष कम हो जाने पर ६०६ दिजरी श्राती है । बस यही जायसी की निश्चित् जन्म
तिथि ठहरती है । कवि की जन्म तिथि के विषय मैं हम च्राखिरी कलाम के श्रतर्सात्त को
ही सबसे अधिक प्रामाणिक मानते हैँ |
जायसी का जन्म स्थान
कुछ विद्वानों का मत है कि मलिक मुद्म्मद जायसी किसी अन्य स्थान के रहने
वाले थे श्रौर बाद में श्राकर जायस में बस गये । पं ० सुधाकर और डाक्टर प्रियर्सन का
यही मत है कि कवि यहाँ का रहने वाला नहीं था । इनके इस कथन का श्राधार जायसी
की निम्नलिखित पंक्ति है :
जायस नगर घर झस्थानू । तहाँ श्राइ कवि कीन्ह बखानू ॥
'तहाँ आ्राइ” शब्दों के आधार पर डा० प्रियसन श्रौर पं० सुधाकर कामत यहं
बना कि जायसी ने कहीं बाहर से श्राकर जायस में निवास किया श्र वहीं पर पद्मावतु
$ स्वना की | परन्तु इस विषयमे त्राचायं रानचन्द्र शल का विचार इनफे विपरीत
।
“पर यह ठीक नहीं । जायस वाले ऐसा नहीं कहते । उनके कथनानुसार
मलिक मुहम्मद जायस के ही रहनेवाले थे । उनके घर का स्थान श्रब तक वहाँ के कंचाने
मुदल्ले में बताते हैं ।””*
श्रतसांद् के श्राधार पर भी जायस उनका जन्म स्थान सिद्ध होता है | कवि ने
लिखा हे |
जायस नगर मोर श्वस्थानू ।
नगर क नांव श्रादि उद्यन् ॥
तहाँ दिवस दस पहुने श्राएडं ।
भा बेराग बहुत सुख पाएऊ ॥।
वहीं प्रृष्ठ ३८७
यहाँ 'पहुने” कहने का तात्पर्य भी कुछ विद्वान कवि के बाहर से आ्राकर जायस
--+-----~ -- ------*--~ गए अल ~ ~
+ ऽ [भस भंधाषलो पृष्ठ 8
User Reviews
No Reviews | Add Yours...