क्या भारत सभ्य है ? | Kya Bharat Sabhya Hai ?
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ क्या भारत सभ्य है ?
रहा है। युरोपकी भी जो सध्यकालीन संस्कृति थी, उसपर
ण्शियासे पेदा हुए इसाई आददका प्रभाव था ; इससे सिद्ध होता
हे कि श्राप्यात्मिक लक्ष्य दी प्राघान्य प्राप्त कर सका था एवं
उस समय एरियाकी संस्कृतिके साथ यूरोपकी संस्कृतिका यथा-
थतः एक तरसे साश्य हो गया था, कुछ अंशोमिं वेषम्यभी
अवश्य था । संस्कृतिके विषयमें प्रकृतिगत भेद दोनों में सदा-
सवदासे रहा है । गत कई शताब्दसे यूरोप जङ़्वादी, अक्रमण-
शील दो रददा है. एवं मनुष्यके भीतर श्रौर बाहरको खभ्यताके
असली अथं, सत्य श्र सद्ज्ञानसे यूरोप हाथ धो बैठा हे ।
विषयकी स्वच्छन्दता, विषयकों उन्नति, विषयकी काये-दृक्तता
श्रादिको यूरोपने अपना उपास्य देवता बना लिया है । जो
'गाघुनिक यूरोपीय सभ्यता एशियामें श्रा बिराजी है, एवं भार-
तीय अआदशेपर तीतर श्राक्रमणोके रूपमे जिसका परिचय मिल
रहा है, वह युरोपको जङ्वादी वैषयिक संस्कृतिका स्वभाव है ।
'आध्यात्मिक लक्ष्यका उपासक भारत कमो भी यूरोपक्रो उपर
एशियाके वाह्य वैषयिक आक्रमण करनेमे योगदान नहीं दे
सका था । अपने भावों ओर आदर्शोको संसारमें फलानादही
भारतकी श्रेष्ठ प्रणाली थो । आज फिर दम उसो प्रणाली का
श्यभ्युदुय देख रदे दै । ञिन्तु समयके फेरे चाज वह स्वयं ही
बेषयिक व्यापारों में यूरोपके अधीनस्थ दो गया दै । इन बेषयिक
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