वेदान्त दर्शन | Vedanta Darshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
108.58 MB
कुल पष्ठ :
470
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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' चिषय सूत्र ० पा० सू०
जगद्रचना में झाकाशकालदिग्देश
आदि से युक्क प्रकृति--
. सर्वोपिता च तद्दशेनातू . ... .... ८. २
प्रकृति भी जगत् का कारण और
वह उपादानरूप---
प्रझृतिश्च प्रतिज्ञाद प्रान्ताचुपरोधातू .. .......... १
सातक्ाब्योमयाश्नानातू _..... .. * कन्न्ा हैं
प्र कृतिनामक अव्यक्त परमात्माधीन ही
जगत्कारण है न कि खतन्त्र--
सूदस डि तदहत्दातू «० मनन र्
तदघीनत्वादर्थव तू न रत
नयत्वाचचनात्व अर हैं
जगत का उपादान कारण प्रकृति
समानधरमी होने से--
न विलक्तणुत्वादस्य तथात्वं च शब्दात् २
त्रह्म से भिन्न प्रकृति और जीव--
विशेषणभिद्व्यपदेशाश्यां च ' नेतरो र
अवस्थिवेशेष्यादिति चेन्नाध्युपगमादु भूदि २
जगत् का सच्व प्रक्धति--
सरवाययावरस्य २
प्रकृति के अभाव से दोषापत्ति--
कृत्स्रप्रसक्तिनिरवयबत्वशब्दकोपों वा
टी.
ही
कि
भव
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