शालिभद्र - चरित्र | Shali Bhadra Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शालिभट्रचरित 1 | ११
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प्क तो धन्ना कै कहने का ढंग ही छुछ ऐसा था; फिर वह
स्त्रियाँ भी दुयाचती थीं । अतपएव धन्ना की बात सुन कर
उनका हृदय पसीज उठा । उन्होंने उसे प्रेम के साथ विठला-
कर कहा--सतुम भूखी होश्नोगी । दूर से आ रही हो। पहले
कुछ खा-पी लो ।
धन्ना--्रापदयाफी मूरति है ओर श्रापके यहाँ का
भोजन भी अच्छा ही होगा । मुझे भूख भी लग र्दी दै
फिर भी मे आपके यहाँ का भोजन नहीं कर सकती ।
एक स्त्री-क्यों ?
घन्ना-श्राज मैं बिना मिहनत का खा लूँगी तो मेरी
जिन्दगी विगड़ जायगी | फिर मुझसे काम न होगा प्ररे
सीघा भोजन सिलने की ही इच्छा करने लर्गुगी ।
धन्ना के इस उत्तर से नागरिक स्त्रियों को अपने कत्तेव्य
का मान हुसा और इस बात से चह कांप उठीं ।
उन्होंने कहा--हस तुम्हें काम बताएँगी । पहले' भोजन
तो कर लो |
घन्ना--ऊुपा करके पहले मुझे काम बता टीजिए । आप
जितनी जल्दी मुके काम बताएँगी; उतनी ही जल्दी प्रानो
भोजन देंगी ।
स्त्रियॉ--ठुस्हारे साथ यह बालक भी तो भूखा होगा ।
तुम भोजन नहीं करती तो इसे करा दो ।
धन्ना--यह बालक भी मेरे ही जैसा है । यह मेरे उद्यम
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