रास और रासान्वयी काव्य | Ras Aur Rasanvayi Kavy
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
59 MB
कुल पष्ठ :
1050
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ )
श्राभीर लाति के रसमय व्रत्य रास ने कहीं साहित्यिक स्वरूप प्राप्त किया श्रोर
कहीं धार्मिक रूप । श्रतः श्रन्त में यह कहना श्रनुचित न होगा कि--
बन्दौं ब्रज की गोपिका निवसत सदा निकुज
प्रकट कियो संसार मै जिन यह रख को पुंज ॥
रुद्र काशिकेय
प्रधान संपादक
बिड़ला प्रंथमाला
ना० प्र० सभा
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