भारत का आर्थिक भूगोल | Bharat Ka Aarthrk Bhugol
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
336
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(५ )
किसी भी देश की खेती, उद्योग धन्वे तथा व्यापार उस देश के धरातल
सकी बनावट, जलवायु तथा स्थिति पर निभर होते हैं । इन सबका श्रध्ययन हम
प्राकृतिक भूगोल में करते हैं । झस्तु, आर्थिक भूगोल तथा प्राझतिक भूगोल
का घनिष्ठ सम्बन्ध है । |
किसी भी देश के श्रार्थिक भूगोल का अध्ययन उस देश के राजनैतिक
भूगोल के जाने बिना नहीं किया जा सकता । राजनैतिक भूगोल में हम
उस देश के निवासियों, राज्य; संस्थाओं, तथा वहाँ के नियमों के बारे में
ब्यध्ययन करते हैं ।
मूग शाख देश के धरातल की बनावट का श्रथ्ययन करता है श्रौर
मे खनिज पदार्थों, चट्टानों तथा मिट्ियों के बारे में जानकारी देता है;
जो कि मनुष्य के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डालते ह । श्रतः उसका भी
र्थिक भूगोल से गहरा सम्बन्ध है |
गणितात्मक भूगोल -- पृथ्वी के श्राकार, विस्तार; गति इत्यादि का शरध्य-
यन करता है, तथा. ज्वार-भाटे और समुद्रीय धाराओं की जानकारी देता है 1
उनके द्वारा पृथ्वी को जलवायु तथा वनस्पति प्रभावित होती ह । श्रतएव आर्थिक
अूगोल से इसका भी गहरा सम्बन्ध है |
इनके श्रतिरिक्त श्रार्थिक सूगोल को श्रथशाख्र, समाज-शाख्न, इतिहास,
चनस्पति-शास्र-प्राणि-शास््र तथा रसायन शास्त्र से भी उपयोगी जानकारी मिलती
है | श्रतरव वह इन शाछ्ञों से भी सहायता लेता है ।
मनुष्य तथा उसकी परिस्थिति
{जिस स्थान में मनुष्य निवास करता है, वहीं के त्रनुसार उसे श्रपना जीवन
चनाना पड़ता है क्योंकि उसे श्रपने जीवन की रदा के लिये भोजन तथा शरीर-
रक्ा के लिये कपड़े, श्रौर रहने के लिये सुरक्षित स्थान (मकान, की श्रावश्यकता
होती है । यद जनने के लिए कि किसी देश के मनुष्यां का यख्य धन्धा क्या
होगा, वहाँ का पहिनावा कया होगा; तथा उस देश के निंवासियं का रहन सदन
खोर स्वभाव दैवा होगा, उनकी कार्य -्तमता कैसी होगी; हमें वहाँ की भोगो-
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