भारत का आर्थिक भूगोल | Bharat Ka Aarthrk Bhugol

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Bharat Ka Aarthrk Bhugol by दयाशंकर दुबे - Dayashankar Dubey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५ ) किसी भी देश की खेती, उद्योग धन्वे तथा व्यापार उस देश के धरातल सकी बनावट, जलवायु तथा स्थिति पर निभर होते हैं । इन सबका श्रध्ययन हम प्राकृतिक भूगोल में करते हैं । झस्तु, आर्थिक भूगोल तथा प्राझतिक भूगोल का घनिष्ठ सम्बन्ध है । | किसी भी देश के श्रार्थिक भूगोल का अध्ययन उस देश के राजनैतिक भूगोल के जाने बिना नहीं किया जा सकता । राजनैतिक भूगोल में हम उस देश के निवासियों, राज्य; संस्थाओं, तथा वहाँ के नियमों के बारे में ब्यध्ययन करते हैं । मूग शाख देश के धरातल की बनावट का श्रथ्ययन करता है श्रौर मे खनिज पदार्थों, चट्टानों तथा मिट्ियों के बारे में जानकारी देता है; जो कि मनुष्य के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डालते ह । श्रतः उसका भी र्थिक भूगोल से गहरा सम्बन्ध है | गणितात्मक भूगोल -- पृथ्वी के श्राकार, विस्तार; गति इत्यादि का शरध्य- यन करता है, तथा. ज्वार-भाटे और समुद्रीय धाराओं की जानकारी देता है 1 उनके द्वारा पृथ्वी को जलवायु तथा वनस्पति प्रभावित होती ह । श्रतएव आर्थिक अूगोल से इसका भी गहरा सम्बन्ध है | इनके श्रतिरिक्त श्रार्थिक सूगोल को श्रथशाख्र, समाज-शाख्न, इतिहास, चनस्पति-शास्र-प्राणि-शास््र तथा रसायन शास्त्र से भी उपयोगी जानकारी मिलती है | श्रतरव वह इन शाछ्ञों से भी सहायता लेता है । मनुष्य तथा उसकी परिस्थिति {जिस स्थान में मनुष्य निवास करता है, वहीं के त्रनुसार उसे श्रपना जीवन चनाना पड़ता है क्योंकि उसे श्रपने जीवन की रदा के लिये भोजन तथा शरीर- रक्ा के लिये कपड़े, श्रौर रहने के लिये सुरक्षित स्थान (मकान, की श्रावश्यकता होती है । यद जनने के लिए कि किसी देश के मनुष्यां का यख्य धन्धा क्या होगा, वहाँ का पहिनावा कया होगा; तथा उस देश के निंवासियं का रहन सदन खोर स्वभाव दैवा होगा, उनकी कार्य -्तमता कैसी होगी; हमें वहाँ की भोगो-




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