गीता प्रवचन | Geeta Pravachan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : गीता प्रवचन  - Geeta Pravachan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य विनोबा भावे - Acharya Vinoba Bhave

Add Infomation AboutAcharya Vinoba Bhave

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रास्ताविंक शाख्यायिका--अजुनका विपाद १५ 1 ह त्ति कैसे का सकता था १ संन्याखके नामपर यदि वह्‌ जंगल्में द कर रहता, तो वदो दिरन मारना छल कर देता । अतः भगवानने ध ही कदा-“अजेन, जो तू यद्‌ कद्‌ रदा है कि में उ्डे.गा नदी, बह तेरा श्रम है। आजतक जो तेरा स्वभाव वना हज है, वह तुझे छडाये विना कमी नदीं माननेका ।” अजनको रवधमे विगुण माम होने खगा । पर॑तु स्वधमे कितना ही विशुण हो; तो थी उसीसे रहकर मजुष्यको अपना विकास कर छेना 'वाहिए; क्योकि उसीमे रददनेसे विकास हो सकता है। इसमे असिमान- का कोई प्रश्न नदीं है । यद्‌ तो विकासका सून्न है | स्वधमं एेसी वस्तु नहीं है कि जिसे वड़ा समझकर अद्दण करें और छोटा समझकर छोड दं । वस्तुतः वह्‌ न वडा होता है, न छोटा । वद्‌ हमारे व्योतका द्ोता ' है.। श्रेयान्‌ स्वधर्मो विदणः इख गीता-वचनमे धमे श॒ब्दका १ अर्थ हिंदु-घर्में; इसछाम; $साई-यमे आदि जैसा नदी दै । प्रत्येक ल्यचिका अपना मिन्न-भिन्न धर है । मेरे सामने यहाँ जो दो सौ व्यक्ति मौजूद हैं, उनके दो सौ धमं हैं। मेरा धर्म भी जो दस वपे पदे था, वद आज नदीं है । आजका दस वर्षं वाद्‌ नदी रहनेका । चिंतन ओर्‌ अलुभवसे जैसे-जैसे इृ्तियो वदती जाती है, वैसे-वैसे पदेका धसं छूटता जाता और नवीन धर्म प्राप्त होता जाता है। इठ पकड़कर कुछ भी नदी करना दै । दूसरका धर्म भले दी श्रे साढ्म दो, उसे ग्रहण करनेरमे मेरा कल्याण नही है। सूरयैका भकार मुझे प्रिय है। उस श्रकाशसे मैं द्वा र्ता हं । सूयं सञ्च वंदनीय भी हैं। परंतु इसलिए यदि मैं पृथ्वीपर रददना छोड़कर उनके पास जाना चाहूँगा, तो जठकर खाक रो जार्ञगा । इसके विपरीत भके ददी प्रथ्वीपर रदना विगुण दो, सू्यके सामने प्रथ्वी . विल्छु तुच्छ दो, वदद स्व-प्रकाशी न दो; तो भी जवतके स्यके पके सेजको सदन करनेकी सामध्य मुझसे न आा जायगी; तबतक सूथेसे दूर इथ्वीपर रहकर दी मुझे अपना विकास फर सेना होगा-। मछस्थिसि यदि को फद्दे किं 'पानीसे दूध कीमती हे, ठम




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now