विवाह विज्ञान | Vivah Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला दृश्य ७
संपादक--श्रीयुत वामन-शिवराम आपके के लिखे अँग-
रेजी-संस्कृत-कोष मे तो यह वात सुमे -आज तक नदीं देख
पडी ; नदी तो मैंने इसे अपने पत्र में कभी का छाप दिया
होता | में तो स्वयं ही इस चिंता में रहता हूँ कि कद्दीं से कोई
नया मसाला मिले तो उड़ा लूँ ।
बेचैनी०--अच्छा, तो रवतो ज्ञात हो गई । बस, अब
तुम मटपट इसे छाप डालो, श्रौर इस पर एक अच्छी-सी
टिप्पणी देते हुए उसमें यह लिखों कि ऐसी दशा में, जब कि
विवाहित पुरुष अधिक मरते हैँ, हम पन पाठको चौर
पाठिकाओं को--देखो, 'पाठिकाओं” लिखना न भूलना--
सलाह देते हैं कि अविवाहित तो '्मविवाहित, विवाहितों
को भी क्वाह करना चाहिए ।
संपादक--यानी एक पुरुष को कई विवाद ?
. वेचेनी०--अर्थात् जिनकी खी-रूपी नौका इस असार
ससार-सागर मेँ असमय ही डूब गई है, और जो इस सागर
की लहरों मे वेतरह् छुटपटा रहे हैं, उनको अपन प्राण बचाने
छीर पार जाने के लिये किसी दूसरे की लड़की-रूपी लकड़ी
की आवश्यकता है या नदीं ? डूब्रते को तिनके का सहारा
चाहिए या नहीं ? तुम इतनी मोटी बात भी नहीं
सममत ? '
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