धरती के लाल | Dharti Ke Lal

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Book Image : धरती के लाल  - Dharti Ke Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घरती के लाल मार्घियोलीता, जो चूल्हे के पास बेठी हुई थी, वीच में ही बोल पड़ी, “उन्हें मवेशियों के लिए एक श्रादमी की जरूरत हैं भर बूढ़े ने पूछा, “तुमे केसे मालूम ?” उसकी 'श्यावाज बहुत ऊंची थी झऔर वह सिर हिलाकर हँस रहा था 1 “जब मैं उनके घर गई थी, तो वहाँ कोई कह रहा था । “हुँ: **लड़की ठीक कहती हैं । उन्द मवेशियों के लिए '्ञादसी की जरूरत होगी ।” श्र यह कहने पर उसकी चाणी ्राश्वस्त प्रतीत हो रही थी । लम्बी यात्रा और सूखी हवा के कारण नीता लेपादतू धक गया: था । लेकिन टाजा पानी, मोपड़ो में श्राराम श्रौर बूढ़े की लकी द्वारा तैयार किये गए भोजन ने उसको काफी स्वस्थ कर दिया । वह भी इघर-उधर की वातें करने लगा--एक शोर जमॉदार के बारे में जिसे वह जानता था । श्रपने घर के वारे में रहने के कस्वे के. बारे में । फिर वह चचा नश्ताश की कहानियों सुनता रहा, इस खयाल से कि इस दौर में उसे तरुणी की थ्रोर देखने का अच्छा अवसर मिलेगा ; शरीर उसमें यह भावना जाग द्राई थी कि इस भॉपडी में. वह ब्यपने दोस्तों के बीच हूं । सिल्दाड पाएं फा्लादफ (लॉ०इड, गम




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