श्रावक धर्म प्रकाश | Shravak Dharm Prakash
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ब्र. हरिलाल जैन - Bra. Harilal Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)@
थो स्वज्देवको नमस्कार हो
प्ररचनका उपोद्घात
यदह पद्मनन्दी पंचकिषतिकाः नामक शाखका सातस्प अधिकार बज सका के. ।
आत्माके आनन्दम द्ुल्ते ओर वन-जगलमें निवास करते यीतरागी दिगम्बर
मुनिराज श्री पद्मनन्दी स्वामीने लगभग ९०० वषं पटले इस हाखकी रखना की थी।
इसमें कुल छब्बीस अधिकार हैं, उनमेंसे सातवाँ ““ देहवत-उद्योतन ' नामका
अधिकार अल रहा रै। मुनिदह्ाकी भावना धर्मीको दोती है, परन्तु जिसके चेती
शा न होसक्के वह देशवतरूप श्चरावक्के धर्मका पालन करता है। उस श्रावकः
के भाव कैसे होते हे, उसको स्वैशकी पहन्वान, देव -शाख-गुरुका बहुमान आदि
माव कैसे होते है, आत्मके भानसदहित रागक्षी मन्दनाके प्रकार कैसे होते दें वे
इसमें बताये गये हैं। इसमें निश्चय-व्यवदारका सामंजस्यपूर्ण सुन्दर वर्णन है ।
यह अधिकार ज़िशासुओंके लिए उपयोगी दोनेसे प्रवचनमें तीसरी बार चल रद
१
User Reviews
No Reviews | Add Yours...