त्रैवर्णिकाचार | Traivarnikachar

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Traivarnikachar  by पन्नालाल सोनी -Pannalal Soniसोमसेन भट्ट -Somsen Bhatt

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पन्नालाल सोनी -Pannalal Soni

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सोमसेन भट्ट -Somsen Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला भष्याय । विषय, आप्तमंगल ` सरस्वतीमंगल गुरुमंगल प्रन्थ-नाम तीनों व्णेकिं रक्षणसहित नाम सज्जनदुजनवणेन बक्ताका लक्षण प्रन्थका लक्षण श्रोताका लक्षण श्रोताओंके भेदं श्रोताओंकरि नाम गन्थके मूलाविषय ध्यानके भेद आर्तध्यानके मेद्‌ ओर स्वरूप रोद्रध्यानके भेद ओर स्वरूप धर्मध्यानके भेद ओर स्वरूप शुक्रष्यानके भेद और स्वरूप पिंडस्थ, पदस्थ, रूपस्थ और रूपातीत ध्यानोकि लक्षण झाय्यासि उठते समय चितवन सामायिक कर्म षड़ावश्यक और जपकरनेका उपदेश मंत्राराधनो पद मंत्रेकि नाम और मंत्र मंत्राराघनफल हिंसादि पच पापक भेद वक्षीकरण आदि मर््रोकी जपविधि (७) विषय-सूची । उनके जपन योग्य उगखियां ओर मालाएं २३ आराधन और होममंत्र 1 ` विषय. प, पृष्ठ रान्तिकरण आदि मेन २ १ मंत्र जपने योम्य स्थान २५ २ वक्षीकरणादि मं्नोका फल २५ ३ जिनदुर्शन और स्तुति २५ ३ सामायिक व जप करनेवाढ़े की प्रशंसा २६ ४ ४ दूसरा अध्याय । ८ झशौचाचाराक्रिया-कथन-प्रतिज्ञा, २७ ६ शोचाचारमे हेतु तथा हरीर- ६ संस्कारकी आवश्यकता २७ » बह्यज्ञुद्धेयां २८ ५ दनिककार्यौ का चितवन २९ ८ बहिर्दिशा गमन विधान २९ < मलमूत्रोत्सर्गके योग्य स्थान ३० ९. मलमृत्रोत्सर्ग न करने योग्य स्थान ३१ ९ मलमूत्रोत्सगं करने ओर न करने योग्य ९ अवस्था २१ १०. मलमूत्रोत्सगं करते समय यज्ञोपवीतकी व्यवस्था ३१ १२ मलमूत्रोत्सगं करनेको वैठनेक विधि ३२ १२ सात प्रकारके मोन ३२ १५ गढ परिमाजन ३२ १६ क्षेत्रपालक्षमा मंत्र ३२ १६ मलोत्सर्ग करते समय मुख करनेकी दिशाएं ३३ १६ जलाशयकों गमन ३३ १९ गुदुप्रश्नालनकों बेठनेकी विधि ३३ २० जलाशयमें गु्दप्रक्षालन निषेध ३३ २१ शौच विधि ३३ दो प्रकारका शौच ३४ २४ वेकि योग्य मिट्टी ३४




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