आधुनिक हिंदी हास्य व्यंग्य | Adhunik Hindi Hasya Vyangya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.82 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चलना पड़ेगा । जिस देदमे लॉर्ड लैसडौनकी मृत वन सकती है, उसमें
सौर किस-किसको मूर्ति नहीं चन सकतो ? माई लॉ । क्या आप भी
चाहते है कि उसके आस-पास लापको भी एक वैसो ही मूरति सी हो
यह मृतियाँ किस प्रकारमे स्मृति-चिह्त है * इस दरिद्र देशके
घनोकी एक टेरी है, जो किसी काम नहीं ला सकती । एक चार जाकर
देखनेसे हो विदित होता है कि वह कुछ विशेष-पश्षियोंके कुछ देर विशाम
लेनेके अदुडसे चढ़कर कुछ नहीं हैं । माई लॉर्ड ! आपकी मूतिकी वहाँ
क्या शोभा होगी ? नाउए, मूर्तियां दिताव । चह देखिए, एक मर्ति है, जो
किलेके मेदानमें नहो है, पर भारतवासियोके हृदयमें बनी हुई है । पहन
चानिए, इस दौर पुरुपने मैदानकी मृतिसे इस देशके करोड़ो गरोवोंके
हृदगमें मूति बनवाना अच्छा समझा । वह लॉ रिपनकी मूर्ति है और
देखिए, एक र्मृति-मन्दिर यह आपके पचास लाखके सगमरमरवालेसे
अधिक मज़वूत और सैकड़ों गुना कोमती है । यह स्वर्गीया विवटोरिया
महारानीका सन् १८५८ ई० का घोपणा-पत्र है। आपकी यादगार थी
यही बन सकती हैं, यदि इन दो यादगारोकी आपके जोमें चुछ इयशत हो ।
मत्तलव समाप्त हो गया । जो लिखना था, वह लिखा गया । अब
खुलासा वात यह है कि एक वार थो और उूयूटीका मुकाबला कीजिए ।
शोको शो हो समझिए । थो ड्यूटी नहीं है। माई लॉई ! आपके दिएली-
दरवारकी याद कुछ दिन वाद उतनी हो रह जावेगी, जितनी
दार्माके वालकपनके उस सुख-स्वप्नकी है!
माई लॉद
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