चार अध्याय | Char Adhyay
श्रेणी : निबंध / Essay, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.56 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
धन्यकुमार जैन 'सुधेश '-Dhanyakumar Jain 'Sudhesh'
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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चार भष्याय ्ु अवस्था समक ली धर मायामयीकी भ्रोरसे प्रतिकूल मंग्ाघात होते हुए भी एलाको दूर भेज दिया श्रौर फिर अपनी निष्कर्ण गृहस्थी श्रोर अध्ययन-भध्यापनमें निमग्न दो गये । माने कद्दा-- शह्रमें भेजकर लड़कीको मेमसाइब बनाना चाहते हो तो बना डालो पर तुम्हारी लाइ़ली लड़की जब ससुराल जायगी तब उसकी जानपर भा पढ़ेगी । तब फिर मुके दोष मत देना । . लड़कीके व्यवहारमें कलिकालो चित स्वाघीनताके कुलक्षण देखकर उसकी माने ऐसी झ्राशंका बार- बार प्रकट की हे । एला झ्पनी भावी सासुके दाढ़ जलायेंगी इस सम्भावनाकों निश्चित जानकर उस. काल्पनिक समधिनके प्रति उनकी झ्रनुकम्पा मुखरित हो उठती थी । इसीसे एलाके मनमें यह धारणा ढ़ दो चली थी कि ब्याइके लिए लड़क्योंको तैयार होना पढ़ता है झपने आत्म -सम्मानको पंगु बनाकर इसके लिए. उन्हें न्याय-श्न्यायके ज्ञानको भी मिटा देना पढ़ता है । एलाने जब मेट्कि पार होकर कालेजर्मे प्रवेश किया तब उसकी माकी सत्यु हो गई ।. नरेशने बीच-बीचमें विवाहके प्रस्तावपर लड़कीकों राजी करनेकी काफी कोशिश की थी पर वे उसे राजी न कर सके । एला झपूव सुन्दरी है पाज्रोंकी तरफसे प्रार्थनाधोंकी कमी न थी किन्तु विषाहके प्रति विमुखता डसके संछ्कारोर्म समा गई थी । लड़कीने परीक्षाएँ पास कर लीं किन्तु पिता उसे धविवादित छोड़कर ही मर गये । सुरेश था उनका छोटा भाई ।. नरेशने अपने इस भाईको पाल-पोसकर बढ़ा किया था भोर अन्त तक भ्पने खंचसे पढ़ाया भी । दो वर्षके लिए उसे विलायत भेजकर
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