सप्तति का प्रकरण | Saptati Ka Prakaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
522
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ठ )
पं० पूल्चंदजी शालनी अपने विषय के गंभीर श्रम्यासी हैं । उन्होंने
दिगम्बरीय कर्मशाल्नो का तो आकलन किया दी ई; परन्तु इसके साथ दी
साय श्वेताम्बरीय कम शाल के भी पूरे श्रभ्यासी र । श्रपने इस श्नुबाद्
में उन्होंने अपने चिरकालीन श्रभ्यास का पूणे उपयोग किया है श्रौर प्रत्येक
दृष्टि से न्थ केः सर्वाङ्ग सम्पू बनाने का पं प्रयत किया दै । काशी
विश्वविद्यालय में प्राव्य विद्याविभाग में जैन दर्शनाध्यापक पं० दल्सुखभाई'
मालवणिया का भी इस शुभ कार्य में पूर्ण हाथ रहा है । पं० दल्सुखभाई +
' ने पश्चम और पष्ट कर्मग्रंथ के प्रकाशन के समय प्रेस श्र 4 के
में, प्रकाशन के कार्य में और सलाह मशविरा आदि
श्रत्मीय भाव से प्रोत्साइन सहायता दी है । मैं इसका
झभारी हूँ ।
इमे इतनी मदद हमको मिली है जिसके लिये इम श्रभारी हैं ।
५००) दिवान बहादुर सेठ केघरिंह जी वाफना कोटा ( राजपएूताना )
३००) .बा० गोपीचन्द्जी घाङीदाल, उनके पित्ता स्वगाय सेठ शिवचन्दजी
धाङ़ाचाल के स्मरणां ।
१२९४) सेठ एलचन्दजी फावक फलोदी ।
---दयालचंद्र
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