सप्तति का प्रकरण | Saptati Ka Prakaran

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सप्तति का प्रकरण  - Saptati Ka Prakaran

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about फूलचन्द्र सिध्दान्त शास्त्री -Phoolchandra Sidhdant Shastri

Add Infomation AboutPhoolchandra Sidhdant Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ठ ) पं० पूल्चंदजी शालनी अपने विषय के गंभीर श्रम्यासी हैं । उन्होंने दिगम्बरीय कर्मशाल्नो का तो आकलन किया दी ई; परन्तु इसके साथ दी साय श्वेताम्बरीय कम शाल के भी पूरे श्रभ्यासी र । श्रपने इस श्नुबाद्‌ में उन्होंने अपने चिरकालीन श्रभ्यास का पूणे उपयोग किया है श्रौर प्रत्येक दृष्टि से न्थ केः सर्वाङ्ग सम्पू बनाने का पं प्रयत किया दै । काशी विश्वविद्यालय में प्राव्य विद्याविभाग में जैन दर्शनाध्यापक पं० दल्सुखभाई' मालवणिया का भी इस शुभ कार्य में पूर्ण हाथ रहा है । पं० दल्सुखभाई + ' ने पश्चम और पष्ट कर्मग्रंथ के प्रकाशन के समय प्रेस श्र 4 के में, प्रकाशन के कार्य में और सलाह मशविरा आदि श्रत्मीय भाव से प्रोत्साइन सहायता दी है । मैं इसका झभारी हूँ । इमे इतनी मदद हमको मिली है जिसके लिये इम श्रभारी हैं । ५००) दिवान बहादुर सेठ केघरिंह जी वाफना कोटा ( राजपएूताना ) ३००) .बा० गोपीचन्द्जी घाङीदाल, उनके पित्ता स्वगाय सेठ शिवचन्दजी धाङ़ाचाल के स्मरणां । १२९४) सेठ एलचन्दजी फावक फलोदी । ---दयालचंद्र




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now