कवि वचन सुधा | Kavi Vachan Sudha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
85
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कविवचनसुध। | १५
मुखरित मज मेन मलकीयति मुलुक मानो माफमेो। पफ
गहिको अकाप्न पुनि लिन श्रथाह थाह अति जिकराल
ब्याल काल को खेलाइबों । सेर समसेर धार सहनो प्रवाह भान
गज सगराज द् हथेरिन लराइवो ॥ गिरि सो गिरने ज्वाल माल
में जरन हाइ काशी में करोट देह हिमि में गलाइबों । पं बिष
विषम कबूल कवि नागर पे कठिन कराल एक नेह को
निबाहिवों ॥ ५८ ॥
सेवती नेवार सेत हॉरिन के हार जूही जूथ औ अनार
मोती निद्र लपन्त भो । पन्ना पाखगज पत्र चम्ःक समान फाव
माणिक गुलाब नील इन्दिवर गन्त भो ॥ माधवी नयूनो गऊ-
मदकल सूनो दनो श्रौषं वाटिका बनार पूने। बिलसन्त भो ।
जतन नलम नोरि रतन रप्राल रङ्ग अतन अनन्द हेतु जोहरी
नप्न्त भो ॥ ५६॥
सोरम सुषा सोधि सोहत पिललीमु है साहसी सर्मार साफ
सोखी सो सरवै जगे । कोकिला कल्लाप कम्प क्रौतुक कहे को कुज
कमनीय केलि कला कलित ठगे लभ ॥ फूलन की फाव चार्
चांदनी हिंताब औध आनंद की आव नौल नेह उफौ लै ।
पायक पर्पीहा पे. जगावत प्रवीन पंचमायक प्रताप ऋतु नायक
रो लगे | ई० ॥
आयो ऋतुराज परो सुगन समाज भाज वावरे बिथोगी
पात पूरब को जाफ मो । पुहुप पराग पौन प्र्ञव पपीहा पिक
पीतम पिड़ानि प्रीति झवध इजाफ मो ॥ मुकुालित मा तती मलिन्दू
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