हारी हुई लड़ाई लड़ते हुए | Hari Hui Larai Larte Hue

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Hari Hui Larai Larte Hue by ठाकुर प्रसाद सिंह - Thakur Prasad Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक पुराने घर के खिलाफ वादल वर्प भरे दिन में जब देवता सोते रहते हैं, तुम इस धरती पर आये । जेसे प्रखर हवा के नशे में थककर सोयी माँ की पीठ पर हथेलिया थपकाता सोते से जागकर, मुसकराता वच्चा अपनी लोरी सुद गाये । जहां हवेली मे इतिहास का धुँधलका हो और वत्तमान वी बुझी हुई दीवालगी रे, शोशो पर उलटी वनी दहो कम्पनी काल कौ तस्वीरें वृढ दरवानो और शोख नौकरानियो की नोक-झोक जहाँ चलती हो वे रोक टोक ¦ जहाँ ड्योढी के वाहर पैर रखना वर्जित सारा इतिहास पुरानी कहानिया मे सचित हारी हुई लडाइ लडत हुए / 15




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