वंशी और महल | Vanshi Aur Mahal

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Vanshi Aur Mahal by ठाकुर प्रसाद सिंह - Thakur Prasad Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सखि कहल जाडं र मोको कहाँ ठाउं रे! आधा मन घरे मोरा आधा मन बाहिरे आधा मनं ल्गा मोरा कुआरे कं साँवरे सखि कहाँ जाडं रे मोको कहाँ ठाउँ रे ?




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