चरनदास | Charandas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
68 MB
कुल पष्ठ :
507
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about त्रिलोकीनारायण दीक्षित - Trilokinarayan Dikshit
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ )
तंत्र-साहित्य में मक्ति के स्वरूप--वैदिक साहित्य के समान ही तंत्र साहित्य
प्राचीन है। इस साहित्य मे शक्ति सिद्धान्तो का प्रतिपादन हूत्रा ई । इसमे सवशक्तिमान्
की च्राराघना पिताके सूप नहीं वरन् माताके क्प में करने का उपदेश दिया
गया । सक्तिमाग में इन ग्रन्थों का प्रचुर प्रभाव पड़ा । देवीसू को तो वैदिक सादित्य
तक में स्थान प्राप्त हुआ । शैव सम्प्रदाय के सिद्धान्तो की स्वना तथा उद्भव इन्हीं
अन्यों के आधार पर हुश्रा । वैष्णव सम्प्रदाय के पांचरात्र झागम इसी साहित्य
के झ्न्तगंत परिगणित होते हैं । तंत्र-साहित्य में भक्ति का बड़ा तीन्र, उज्ज्वल तथा
महत्वपूण रूप व्यक्त हुश्रा है ! इस साहित्य में भक्त के चरित्र, साघना पद्धति तथा
प्माचार-विचार कामी सबिस्तार उल्लेख मिलता है । तंत्रसाधना में भक्ति का
स्वरूप बड़ा स्पष्ट है । |
पांचरात्र--षात्वतों से लेकर गुप्त सम्रायं के उक्कर्षकाल में वैष्णव घमं तथा
भागवत घमं का श्रम्युद्य हन्ना । गुप्त सम्रारों ने वैष्णव घमं को ाष्टरूघमं के पद् पर
प्रतिष्ठित किया । इसी समय पांचरा् संहिता का प्रणयन हूश्रा । ब्रह्म के भक्तों को
भागवत कहा गया श्रौर इसी कारण यह घमं भागवत घम के नाम से प्रख्यात हुआ |
भागवत घमं ही पांचराक्रमत के नाम से प्रसिद्ध है । इसका सात्वत-मत नाम भी है ।
यह अंतिम नाम इसलिये प्रसिद्ध हुआ कि सात्वत नरेशों ने इस मत के प्रचार में
विशेष उद्योग किया था । पांचरात्र शब्द का निर्माण पांच तथा रात्र शब्दों से हुआ
है।रात्र शब्द ज्ञान का पर्दा है। पांचरात्र साहित्य में परमतत्व सुक्तियोग
तथा सत्संग की विवेचना की गह है| चारों वेद तथा योग के सिद्धान्तों का
निरूपण होने के कारण भी यह साहित्य पांचरात्र के नाम से प्रख्यात हुआ *--
इदं महोपनिषदं तेन पंचरात्रान्नुशाब्दितिम् ।
नारायरश्रखोद्गीतं नारद श्रावयत् पुनः ॥
-महा०, शांति पर्व॑, श्रध्याय ३३६
प्रस्तुत तंत्र अ्तीव श्रवांचीन एवं बहुदेबोपासना का समर्थक है । पांचरात्र
साहित्य क श्रनुसार पंच व्यापायें के माध्यम से मक्त भगवान को प्रसन्न करता है :--
( क ) आआयंगमनकाय- काया, वाक् एवं मन च्रवहित करके देवग्रह ऊ
लिए प्रस्थान
(ख ) उपादान--पूजा द्रव्य-झज॑न था संग्रह
(ग ) इञ्या-पूजा
( घ ) स्वाध्याय--मन्त्रों का जग; दाशनिक अन्थों का संग्रह, अवलोकन
( ङ ) योग--ध्यान
User Reviews
No Reviews | Add Yours...