एकांकी कला | Ekanki Kala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ekanki Kala by त्रिलोकीनारायण दीक्षित - Trilokinarayan Dikshit

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about त्रिलोकीनारायण दीक्षित - Trilokinarayan Dikshit

Add Infomation AboutTrilokinarayan Dikshit

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( 8 9 में व्यक्तित्व का मोह है इसलिए वह अपने माथे के दाग के छिपाने के लिए चन्दन लगाये हुए है। लीला की लिपस्टिक चुरा कर किशोर अपने चित्रों में रंग भर रहा है क्‍योंकि उसे अपनी स्री का लिपस्टिक लगाना पसन्द नहीं है। इस प्रकार के संकेत- चित्रण से रंगमंच के संचालक को चाद्दे पात्र के चुनाव और बेश- भूषा के निधोरित करने में सहायता मिल जाय किन्तु इससे अधिक पात्रों के मनोविज्ञान के स्पष्ट करने की भावना है। ली पुरुषों के मनोविज्ञान में आन्दोलन उपस्थित करने वाले प्रश्न नाटककार की लेखनी में अपना उत्तर पा सकते हैं। समाज ओर परिवार के संघर्षी के रंगमंच पर उपस्थित कर नाटककार जनता के अपनी वास्तविक स्थिति से परिचित करा सकता है । हमारे सामने प्रश्न यह है कि हम जीवन का चित्रण किस प्रकार करें ? क्‍या हम जीवन की नग्न परिस्थितियों को कला से सुसज्जित कर उपस्थित करें या जीवन के मौलिक एवं विकृत रूप के यथातथ्य घटनाओं से छीन कर रंगमंच पर रख दें ? रूस के लेखकों नेतो अधिकतर यही किया है कि जीवन को अपने नग्न स्वाभाविक रूप में जैसे का तैसा रख दिया है । मैकिसिम गोर्की ने अपने उपन्यास ओर नाटकों में जीवन को ही साहित्य चौर कल्ला मान लिया ह । समाज के निम्न स्तरो से जीबन लेकर उसने अपने साहित्य का निर्माण किया है। नाटकों में कथा-वस्तु नहीं के बराबर है किन्तु चरित्र अत्यन्त आवेगमय ओर शक्तिशाली है। घटनाओं में कोई नाटकीय कौशल्न नहीं




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now