श्री राम कृष्ण काव्य | Shriram Krishna Kavya

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Shriram Krishna Kavya by पं ऋषिकेश चतुर्वेदी - Pt. Rishikesh Chaturveddi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जय न अर, गज गा शा मनन लव दे माप की तीन न कि दर के हद न पर रबर ! मकर पर, प्लस क्रय पद किम रियर के सब तप मी नव, नरम परम: लक नम कक की प तक, नि कद हक 1 न ] . “पट [| ' नि डर पी पी रा मी कीफे की _ हुए यादव जी तु ब्जेस । यहीं . नद-नदन, . झारज-राज ॥ ७॥. हु यही आआरज-राज; नद-नंदन, ब्रजेस, यादवजी डर : सावाथ--प्रथ्वी पर इन्हीं आर्य-राज, नन्द-नन्दन, ब्रज-पति यदु-झुल-भूषण श्रीकष्ण ने अवतार लिया | विशेष शब्दार्थ--झुविश्पृथ्वी पर । श्ारजन्व्याय | रचा. “करता कल-बालक एडइ। रचा. “करता”. छुल-पालकु॒ एडु ॥ ८ ॥. विषय--श्रीकृष्णु-जन्म । न्वय--करता” एड कल-बालक रचा ! “करता” एड छुल- . पालकु रचा भावार्थ-'कित्ता” नें. यह कुल-पालक, सुन्दर बालक श्रीकृष्ण रचा |... दब विशेष शब्दाथ--एडुन््यह्द भी ! ९ 2




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