शम्भुहोराप्रकाश | Shambhuhoraprakasha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषादीकार्सहितः अ ० 3 । (५) तारास्थता तु कन्यका हतारासस्यस्तता । सरिक्तकुभपूरूपो घटः स्वनामवत्परे ॥ २५ ॥ मीन मऊछीका जोड़ा, एकफे सुखपर दूमरेका प्ूउ है, मकरका सुख मृगका, रेप शरीर मगरमच्छका ह, मिथन स्री पुम्पका जोडा वीणा आर्‌ गृदा धारण किय हे, तुरा पुरुप तखदी तोट रघ ह, उन धृुपमहित पुरुष परतु कटिमे नीचे षोडाहे॥२४॥ कन्या नावमे बेदी भग तथा धान व्िहे, कुम खादी घडा कृवाम दयि पुरुप हे । अन्य राभि अपने नाम- महण हे जम मेषं महा, तृष्‌ वट, ककं केकडा, वृधिक्र विन्य ॥ २५ . राशीना रक्ताद्विवणाश्वराषिसन्नाच । र्तः भिता हारितपाट्खो च पाण्डुर्विचिघस्तसितः पिशंगः। स्यात्पिगखः कब्रवभुशचभ्रा वणास्त्वजादैः कमशो निसक्ाः ॥२६ ॥ चृरास्थरादरमतया दमसाम्यस्षाम्यक कमात्‌ । अगुग्मयुग्मसन्नका नराख्रिया क्रियादूह ॥ ९७ ॥ राशियाकि रग कहतहे-मेप ग्क्त, त्रप श्वेत, मिथन हरिनि, ककं श्वतरक्त; मह अल्प श्वत, कन्या अनफम्म्‌ नुष्‌ कृष्ण्‌, वू कःणयण्‌, यन पर्या मकम कुर, कुम न्यालाफासा रंग, मीन खतयर्ण ह ॥ २६॥ मपादि राशि चर, स्थिर, द्िस्यमाय क्रममे जम मप्‌ चर, त्रप म्थिर, मिथुनं द्रिस्वभाष, कके चर इत्यादि । एमही क्रमस्‌ करर साम्य हे ज॑ मेष करर, त्रप मोम्य, मिथन करर, कफ मीम्य इत्यादि । तथा विषम्‌ स॒मभी कमम है, नमे मप विपम, वृष्‌ मम, मिथुन फिपम, कफे मम इत्यादि । तथा पुरुप खी भी करममे हे जमे मेप पुरुप, व्रृप सरी, मिथन पुरुप, ककं चरी इत्यादि ॥ १७ । राशीना दिग्पणंद्विपदादिदिनिवलाया« । मपाक्षवीणाधरककराद्याः पूवादितः घूरिभिरूहनीयाः । राजन्यविट्शचदरधरासुराश्च सवं फटं राद्यसुारतः स्यात्‌ ॥ २८। नक्राग्रखण्डं धनुषः पराद्ध गोिहमपाश्च चतुप्पदाः स्युः । कृन्यानृयुममं घटकरुभभृच चापा्यखण्डं द्विपदाः प्रदिः ॥ २९॥




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