नई तालीम और समाज का नवनिर्माण | Nai Talim Aur Samaj Ka Nav Nirman

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Nai Talim Aur Samaj Ka Nav Nirman by धीरेन्द्र मजूमदार - Dhirendra Majumdar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मे देघ के लोग गारधीजी सी बारणा के पयनतुसार सामाजिक तथा राञ- नीतिक क्ोनि ने कायल नद्ीं थे। उन्होने महज जादी हासिल करने निचा नेनन्वॐे एप में साधघीडी को साना था । यही कारण हे के गाधाजी के कपनानसार्‌ क्ञाति के केन्द्र-विन्दु चरखे को सुल्क झपना नटी न्का। यौतक कि घ्ाजीवन गाधीडी के साध रहनेवालें तथा नायी नं स्वातन््य-न्ग्रान चलाने वाले नेताश्ना के मन में स्रत कन्म पीस क श्वे म्‌ भतन नर्त क| तोतरर्सक्रता पर्‌ गकर कराय है । नई तालीम के दृष्टिकोण 1 दाद ह 2 ऋप नाथा षा उसी तरह वे १६ भी नाथ <€. ६. न उपनाया था उन्म त व ९६२८ म नयी तालीम ख <~ दपर तदिद ण दे देखने लरें <: वे शिजण-कला न झपने झपरू हांघ्टिको रच ब्खन रूग । क्रय न उत्त शक्षण-कल को उन्नरवत्ना त नाथ जोड़ने का जो विचार चलता च्चा रहा था, पा कणुक इने कंठ्म मात्र के रूप य साचा (वस्तुत सार रर न + गा “पा परम < क ५ टू 3 ज क दरः = > 1२\ पन्‌ ।*.ए।-=[([रच' = इम रन {5८ ~ उखा 1 ) {त्ता सं उश्छ न हा ख यम 25. कक = ० ~ लन-नम्पकं ई का मच साथिया के न क्[ समच य तडनं क {तच जमन-नम्पके अर देन समन. > 2» कि लोगों ट व, करन का एक [तस्त साधन समन । ङं लागा न तो उन चसा चर < = नया चहाना अ > न + ८ तर।त 'क नया च्हृनन् माना! चा ए साग भा जन्र य ऋ ग शः नकं क न | इचे नई काति के वाहन के रूप सें देखे सके थे सेिस दे का इ २ ~+ 5 पतन रङ्न्पन्‌ न्ख त थ 1 लक्= न्त्र




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