द्रव्यानुयोग भाग - 2 | Dravyanuyog Bhag - 2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : द्रव्यानुयोग भाग - 2  - Dravyanuyog Bhag - 2

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री ज्ञानसुन्दरजी - Shree Gyansundarji

Add Infomation AboutShree Gyansundarji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(११) জীহাহা সি घन) के कारमाणका बन्धन, औदारीक तेजस कार म्गका बन्धन, क्रय येक्रयका बन्धन, वेक्रय तेजसा यन्नः क्न वरकमकारमाणक्रा वन्धन वैक्रिय तेजस कारमणका কন | आहारीक यदारीकका उन्‍्धन भाहारीक तेजेमका गधन आहारीक कारमणका बन्धन आहारीक तेजस कार प्रणा पन्धन । तेजस तेजसका बन्धन तेजस कारमाणका गरन कारमाण-कारमासका बन्धन । एव्‌ १५।_ , (च) सपातन नाम्‌ कर्म कि प्रकृति है जो থান, परीमे ग्रहन फीया है उ्नोंकों यथासोस्य अंययव पणे मज- उतर उनाना। जैसे औदारीक सघातन, वेक्रबसघातन आहाराक भधातन, तेजस सघातन, कारमाण सघातन | (छ) सहनन नामर्मक े प्रकृति है शरीरकि ताऊ़त हइकि मजउतिकों सहनन पहते है यथा यज्ञ ऋषमनाराच महमन | बज़फा अर्थ है सीला ऋषभका श्रय है पाह्म ना रचकन भध दोनो तरफ मर्कद याने कु्ठीयाके आकार दोनो हर्ष ही जुड़ी हुट अथीत्‌ दोनों वर्फ दृडीका भीलना उसके उपर एक हडीका पड्ठा और इन वीनोमें एक सीली हो उसे वेज्ऋपम नाराच सहनन कहते है ॥ नाराच सदनन-उपर प्‌ परन्तु पीचमें सीली न हो नारा सदनन- इसमें पट्टा नहीं ই গর নন-ঘক तफ সত उन्‍्ध दो दुसरी तफे है। अर््ध नाराच मद कम गीली हो । किलीका महनन-दना तह अकुटाकि माफी + हंडीमें दुमरी डी फसी हुड हो | छठ सहनन-आपस इड्ढोयों छुडी हुई है !




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now