अथ श्री वाराह पुराणम | Ath Shri Varah Purana

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ ध वाराह पुराण उ पृध्वी उवाच। _ जाराहदेव से धरणी (पृश्वी),प्रार्थनी करने लगी कि লী सनातन परमात्मा नारायण भगवार्‌ आपने कहां बृह नारायण सब विश्व में व्यापक है अथवा सर्वत्र व्यापक नहीं . है, यह आप कृपा कर कहिये। --- তি । ॥ वराहं उवाच হাহা ने पृथ्वी से कहा किमत्छ, कूर्म,. वाराह, नरतिं बामन, परशुराम, श्रीराम, ऋष्ण,, बुद्ध और कल्की परमेश्वर की दश मूर्तियां है। और यह मूर्तियां परमेश्वर के दर्शन करने बालो को सोपान. (सीढ़ी) रूप हैं अर्थात्‌ इनकी उपासना करने से परमेश्वर नारायण का दर्शन प्राप्त होता है। जो परमा करा मूल रूप है उसे तो दवता भी नहीं दर्शन कर पते ह । आद्य नारायण की तीनू मृतिया हैं । विष्णु,्रह्मा, शिव, पए, सतलणावतार, बर्मा रजोयणावतार शौर शिव तमोणा पंतार हैँ। ब्रह्मा सृष्टि को रचते हैं, विध्ण पालन करते हैं ओर धिघर संहार करते दे । हे-अरे'! तू (पृ्ली)-उस परमेश्वर की पहली भूर्ति है; दूसरी मूर्ति :जल है, तीसरी मूर्ति,तेन है, चौथी ,मूर्ति वायु है, पांचवी मूर्ति आकाश है । तथा विष्णु ब्रद्मा और शिव ये तीन मूर्तियां हैं, इस प्रकार ये आठ भूतियां कही गयी हैं। और गद सव जगत नारायण से व्याप्त है, अर्थात्‌ सब विश्व रूप नारायण हैं। हे धरणी ! यह नारायण की व्यापकता तुमसे कही श्रव शौर क्या मुनना चाहती हो । पृश्री उवाच} ; , उम प्रकार तारद के कहने पर प्रियत्रत क्या करता हुआ यह मुझपे कहने की कृपा करिये। । ग ६2 बाराद्‌ उवाच 1 | वरद भगवान कदने लगे कि राजा प्रियतर ने तुभ




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