भूदान - गंगा भाग - 1 | Bhudav Ganga Bhag - 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhudav Ganga Bhag - 1  by विनोबा - Vinoba

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य विनोबा भावे - Acharya Vinoba Bhave

Add Infomation AboutAcharya Vinoba Bhave

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मुझे खुशी हो रही है कि यहाँ कुछ गरीबों ने भी दान दिया। असल में हेना है श्रीमानों से ही, लेकिन गरीत्ों को भी पुण्य की, दान की ग्रेरणा होनी चाहिए. । उन्हें भी आपस में एक-दूसरे की फिके करने का धर्म समझना चाहिए | जिनको खाने को भी नहीं मिल्ता, ऐसों को कुछ देना गरीबों का भी धर्म है। गरीब के घर में भी नया लड़का पैदा होता है, तो सब बॉटकर खाते है | इसी तरह हमें समझना चाहिए कि हमारे घर में पॉच लड़के हैं, तो छठा लड़का समाज है। चाहे श्रीमान्‌ हो या गरीब, उसके घर में और एक व्यक्ति दै, जिसका हिस्सा देना हरएक का कर्तव्य है । केवल भूमि और सम्पत्ति का ही हिस्सा नहीं, बल्कि अपनी बुद्धि, बक्ति, समय का भी हिंश्ता दान मे देना चाहिए | यह दान-धर्म पिप्यधसः के तोर पर इमे अपे शाखकारों ने सिखाया दै। जैसे हम रोल खाते हैं, वैसे ही रोज दान भी देना चाहिए) १२-७-१०९ चोर का वाप कलूस द यद्ध कस्युनिस्टो का उपद्रव है, तो उसके बन्दोबसत के लिए. सरकार की मिल्टिरी आयी | উদ্দিল पेट के रोग के कारण सिर दर्द करता हो, तो सिर पर सोढ लगते से काम न्दी बलेगा। उतके लिए तो पेट के रोग को दुषुस्त करनेवाली दवा चाहिए; । उपनिषदो में राजा कहता है कि ने मे स्तेनो जनपदे न कदये--मेरे राज्य में कोई चोर नहीं है और कोई चनन नहीं ३) कंजूम चोरों के वाप होते हैं। वे घोरों को, डाकुओं को पैदा करते हैं। इसी तरह आज जो अपने पास हजारों एकड़ जमीन रखते है, वे ऋम्युनिस्टों को चेर करते है । समझने की बात दे कि संग्रह्‌ वर्ते की इत्ति पाप दै} कल्ल से मसला हल नहीं हो सकता। कानून से भी बहुत थीड़ा काम हो सकता ६ } कानून मेरे समान गरीबों से जमीन नहीं हे सकता। उसकी एक मर्यादा होती ই 1 लेकिन जी दृदय-परिवर्तन होता है, वहाँ सर्वस्व त्वाग करनेवाले फकीर निकलते हैं । सुर्यापेट १६-८५-५१




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now