छत्रसाल | Chhatrasaal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ভুল বতি- १० रहा, उन लोगोने यह दृढ़ निश्चय कर लिया कि वे हम लोगेंकोी ले जाकर शा हजादेंदी नजर नर्‌ तर्‌ | পুত का कारायरा ऋंट्टा - হা तरु आप सुन रटे ह नें 2 केडुकारिव वोछे,--- हाँ हा, भ सुन रहा हूं । पर आप मुझे क्या सुनाते हु! নল आर सान्द्य्यम ईंद्रकी अमराबर्त य অহ ভি) देवलोककी अप्यराआंफोी उजत वारनंबा्ी शाही হজ सदारया, आर इंद्रस भी वट कर ऐशों आराब करनेवाले दिद्लीके सुख्तानके जब तक आपको दर्शन न हें, तब नहीं हो सकता । पत्त ०---' राजासाहब ! बादशाहके सायावी चभवसे आपकी साख चेाधिया गइ ह, नहीं तो आप इस संसारक सरक उपम्ा अमरावतीस न देते। অভি किसीको বিকল निलज्ञता आंर विपषयासक्तताका जन्सस्थान आर विलास तथा अच््स्यक्रा अद्य देखना दये, अतिद्य नीच कोटिकी क्वरता, आर संसार भरके ठगणं आर व्यसनंकी एक ही स्थान पर एकत्र देखना हा, तो वह दिल्ली जाय । पर विपयासक्तताकी बिछास, क्रताका झरता, आलस्यका सुख, आर व्यसनोकी आनंद माननेवाले मूखांने कसम पटकर उस दिल्लीकी इस संसारका स्वग घना दिया ह । जब तक ऐसे मृख इस भूसाताके गे जन्‍म लेते रहेंगे तब तक इस दशका मसलमानाक दधस वंचक्रल कर स्वतत्र दाना चहते हां कठिन है । अस्तु, इस प्रकार शोक करनेके लिए बहुत समय हू । ( विजयासे ) वेटी, बतलाओ फिर क्या हआ १ ” विजया---“ हम छलोगेंको दिलद्लीके शाहजादिकी भेट करनका विचार करके व छान थोडी देरक लिए विभ्वाम करने रंगे । इतनेमें उम्हींसे पर उनसे कुछ आधिक मल्यवान्‌ वन प्रहने हृए एक आर असर वहों आ पहुँचा । उसके आते ही पहलवाले सव असुरोन झुक कर उसे सलाम किया; इससे हम.लेगोंने समझ लिया कि वह उन सबका प्रधान हैं । पहलवाले असूरोंन उस नये असुरका हम लोगोंका परिचय * कर अपना विचार बतलाया। उसे सुनकर वह हँसता वोला,--- शाही द्रवारम वड वड पद्‌ आर ऊच आसन पानके दिए यह सभी हिन्द राजे अपनी लडकियां आर वहनाोकी शाही महरूम सेजनकोी तरसते চা 1 हिन्दू राजे अब यह भी समझ गये हे कि हमारे राजकमार दिछीके शाही




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